मंगलवार, 19 जनवरी 2010

वसंतपंचमी पर विशेष-



वैसे तो महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" का जन्म 21 फरवरी को 1896 में पश्चिमी बंगाल के मेदिनीपुर जिले के महिषादल नामक देशी राज्य में हुआ था, लेकिन उस दिन वसंतपंचमी थी. माँ सरस्वती ने प्रकृति का कैसा अनुपम उपहार दिया साहित्य-जगत को. वसंत पंचमी के अवसर पर निराला जी की एक प्रसिद्ध रचना के साथ हाज़िर हुई हूँ-

30 टिप्‍पणियां:

  1. aadraneey kavi Nirala ji ki kavita padwaane ke liye dhanyawaad...
    aapko bhi basant panchmi ki badhaii..

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  2. निराला जी के कृतित्व और व्यक्तित्व से भला कौन प्रभावित न हुआ होगा....आपने निराले अंदाज में निराला जी से परिचित करा हमें अनुग्रहित ही किया है ..आभार!

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  3. वन्दना जी आदाब
    निराला जी की रचना के लिये आभार
    बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

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  4. मेरी पसंद की रचना है। बसंत पंचमी की शुभकामनाएं।

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  5. निराला जी अनमोल रत्न हैं. उन्हें हर काल में हमें सहेजना होगा.

    आप को वसंत पंचमी की अनेक शुभकामनाएं!!

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  6. Basant panchami ki shubhkamnayen. Vastutah aaj hamara desi valentine day hai. Ise manan chahiye.

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  7. इतनी सुन्दर रचना पढवाने का बहुत बहुत धन्यवाद...पढने के बाद से मन में बस यही कविता गूँज रही है...ऐसे ही आप इन कविताओं से परिचित करवाते रहें...बचपन के दिन लौट आते हैं..
    आपको भी वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं

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  8. वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ...निराला जी की रचना के लिये आभार

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  9. इस सुन्दर रचना की प्रस्तुति के लिए आभार।
    शुभकामनायें।

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  10. niraala ji ki likhi (chhapi hui) lagbhag har kavitayein padhi hai maine... dhanyavaad yaad taaja karne ke liye...

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  11. निराला जी की इस निराली रचना के लिए बहुत बहुत आभार ........... बहुत लाजवाब रचना है .......... आपको बसंत पंचमी की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ...........

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  12. आपने गीत को अपना स्नेह दिया आभारी हूँ. इस बहाने आपके रचना संसार से परिचित होने का सौभाग्य मिला.
    महाप्राण निराला को मेरा भी नमन.

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  13. निराला जी की इस निराली रचना के लिए बहुत धन्यवाद।

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  14. इस सुन्दर गीत को पोस्ट करने के लिए धन्यवाद.

    जब भी महाकवि निराला का नाम आता है मन में वसंत से झूमने लगता है. याद आती है उनकी माँ सरस्वती को दी गयी शब्दांजलि-

    वर दे! वीणा वादिनी वर दे...

    आपको वसंत पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएँ.

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  15. इतनी सुन्दर रचना पढवाने का बहुत बहुत धन्यवाद...

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  16. निराला का यह गीत...
    और बसंतपंचमी...

    यह मौसम आते ही, सरसों के मच्छर (चेंपा) बाहर निकलना तक दूभर कर देते हैं...

    बड़ी मुश्किल से कटता है यह बसंत...

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  17. "वह हँसी बहुत कुछ कहती थी
    फिर भी अपने में रहती थी"
    कितने सलीके से बात कही - "निराले" निराला जी को सादर नमन - आपको (देर से) गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई के साथ-साथ "बांधो न नाव इस ठाँव बन्धु" से साक्षात्कार कराने के लिए आभार और धन्यवाद्

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  18. इस सुन्दर गीत को पोस्ट करने के लिए धन्यवाद.

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