शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

शुभकामनाएँ....


नया साल शुरू होने में बस एक घंटा रह गया है. दिन भर से सोच रही हूँ, कुछ लिखने के बारे में, लेकिन मन है कि पिछले न्यू ईयर को याद कर रहा है, जब मैं कानपुर में थी. मैं भी न!! बीती बातें याद करने की आदत सी हो गई है मुझे. आगे का कुछ सोच ही नहीं पाती! कैसे धकेलूँ अपने मन को आगे की तरफ?
आप भी सोचेंगे कि इतने दिनों बाद लिखा, उसमें भी नया कुछ नहीं.
पिछले साल ३१ दिसंबर को कानपुर में मैंने फूलों की शॉप सम्हाली थी. मेरी बहन का ऑपरेशन हुआ था, और सुनील नर्सिंग होम में व्यस्त थे. नए साल पर जितने भी ऑर्डर आ रहे थे, वे कैंसिल करते जा रहे थे. मैंने उन्हें ऑर्डर कैंसिल न करने को कहा और शॉप का काम दो दिनों के लिए खुद संभाल लिया. इतना मज़ा आया फूलों के बीच रहते, और काम करते हुए कि क्या बताऊँ. घने कोहरे के बीच फूलों की बिक्री करना एकदम नया अनुभव था. उस रात मैं एक बजे तक शॉप पर थी.
यात्रा वाले दिन यानि दो जनवरी को अनूप जी और शेफाली से मुलाक़ात हुई, जिसकी उम्मीद मैं तो छोड़ ही चुकी थी. हाँ,अनूप जी को विश्वास था, कि मुलाक़ात होगी. और मुलाक़ात हुई.
इस बार नया साल मनाने की प्लानिंग पिछले चार दिनों से हो रही थी . पहला नाम लिया गया "रामवन" का, जो सतना से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन मैंने कहा कि एक तो ये जगह कई बार की घूमी हुई है, उस पर आज हुडदंगाई लड़कों का जमावड़ा भी होगा.
दूसरा नाम आया "पांडव-फ़ॉल" का, जो सतना से तीस किलोमीटर की दूरी पर है. यहाँ उमेश जी ने याद दिलाया कि पिछले साल इसी तारीख पर लड़कों ने शराब पीकर कितना तमाशा किया था , भूल गईं :(
अंततः घर पर ही नया साल मनाने का कार्यक्रम तय पाया गया. तय किया गया कि कल उमेश जी छुट्टी लेंगे, और हम सब पूरे दिन एक साथ रहेंगे. अच्छा है न?
नया साल शुरू होने ही वाला है, तो शुभकामनाएं दे दीं जाएँ न?
नए वर्ष की अनंत-असीम शुभकामनाएं आप सबको.
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