रविवार, 27 नवंबर 2011
पढियेगा बार-बार हमें, यूं न फेंकिये, हम हैं इंसान शाम का अखबार नहीं हैं.....
रविवार, 16 अक्तूबर 2011
क्या होगा अंजाम मेरे देश का....
सोमवार, 10 अक्तूबर 2011
कोई आहट, कोई हलचल हमें आवाज़ न दे......
सोमवार, 22 अगस्त 2011
बहुत खुशमिज़ाज़ थे परसाई जी...
शुक्रवार, 19 अगस्त 2011
क्या है जनलोकपाल विधेयक?
१- इस कानून के तहत केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।
२- यह संस्था इलेक्शन कमिशन और सुप्रीम कोर्ट की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी।
३- किसी भी मुकदमे की जांच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा।
४- भ्रष्ट नेता, अधिकारी या जज को 2 साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
५- भ्रष्टाचार की वजह से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा।
६- अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अफसर पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर मिलेगा।
७- लोकपाल के सदस्यों का चयन जज, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
९- सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटि-करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा।
१०- लोकपाल को किसी जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शक्ति और व्यवस्था होगी।
जस्टिस संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने यह बिल जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया है।
सरकारी लोकपाल विधेयक | जनलोकपाल विधेयक |
सरकारी लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के मामलों पर खुद या आम लोगों की शिकायत पर सीधे कार्रवाई शुरू करने का अधिकार नहीं होगा। | प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के तहत लोकपाल खुद किसी भी मामले की जाँच शुरू करने का अधिकार रखता है। |
सरकारी विधेयक में लोकपाल केवल परामर्शदात्री संस्था बन कर रह जाएगी। | जनलोकपाल सशक्त संस्था होगी। |
सरकारी विधेयक में लोकपाल के पास पुलिस शक्ति नहीं होगी। | जनलोकपाल न केवल प्राथमिकी दर्ज करा पाएगा बल्कि उसके पास पुलिस फोर्स भी होगी। |
सरकारी विधेयक में लोकपाल का अधिकार क्षेत्र सांसद, मंत्री और प्रधानमंत्री तक सीमित रहेगा। | जनलोकपाल के दायरे में प्रधानमत्री समेत नेता, अधिकारी, न्यायाधीश सभी आएँगे। |
लोकपाल में तीन सदस्य होंगे जो सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे। | जनलोकपाल में 10 सदस्य होंगे और इसका एक अध्यक्ष होगा। चार की कानूनी पृष्टभूमि होगी। बाक़ी का चयन किसी भी क्षेत्र से होगा। |
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल को नियुक्त करने वाली समिति में उपराष्ट्रपति। प्रधानमंत्री, दोनो सदनों के नेता, दोनों सदनों के विपक्ष के नेता, कानून और गृहमंत्री होंगे। | प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में न्यायिक क्षेत्र के लोग, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारतीय मूल के नोबेल और मैगासेसे पुरस्कार के विजेता चयन करेंगे। |
सरकारी लोकपाल विधेयक में दोषी को छह से सात महीने की सजा हो सकती है और घोटाले के धन को वापिस लेने का कोई प्रावधान नहीं है। | जनलोकपाल बिल में कम से कम पाँच साल और अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है। साथ ही दोषियों से घोटाले के धन की भरपाई का भी प्रावधान है। |
रविवार, 7 अगस्त 2011
न लिखने का बहाना.....
मंगलवार, 17 मई 2011
ठंडा मीठा बरियफ़.......
रविवार, 10 अप्रैल 2011
डॉ. कमलाप्रसाद: ऐसे कैसे चले गये आप?
शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011
शनिवार, 19 मार्च 2011
बेवकूफ़ियां, जो यादगार बन गयीं... (२)
सहानुभूति बन गई बेवकूफ़ी......समीरलाल
वो यादगार होली- रूपचन्द्र शास्त्री ’मयंक’
लगभग 37 साल पुरानी बात है। उस समय मेरी नई-नई शादी हुई थी! पहली होली
स
सु
रा
ल में
मनानी थी। इसलिए मैं और मेरी
श्रीमती जी होली के एक दिन पहले ही रुड़की पहुँच गए थे।
उस समय मेरी इकलौती
साली का विवाह नहीं हुआ था। उसे भी जीजाजी के साथ होली खेलने की बहुत उमंग चढ़ी थी। रात में खाना खाकर सभी
लोग एक बड़े कमरे में इकट्ठे हो गये। उस कमरे में छत पर लगे बिजली के पंखे के साथ तीन गुब्बारे लटके हुए थे
सभी लोग ढोल-मंजीरे के साथ गाना गाने में और हँसी ठिठोली में मशगूल थे। तभी मेरी सलहज साहिबा ने मुझे डांस करने के लिए राजी कर लिया और नाच-गाना होने लगा। मेरी साली तो न जाने कब से इस मौके की फिराक में थी।
जैसे ही मैं पंखे से लटके गुब्बारों के नीचे आया साली ने सेफ्टीपिन से इन गुब्बारों को फोड़ दिया और बहुत गाढ़े लाल-हरे और बैंगनी रंग से मैं सराबोर हो गया।
आज भी वो होली मुझे भुलाए नहीं भूलती!
म
ट
र पुलाव या मटन पुलाव??- शिखा वार्ष्णेय
अरे वंदना जी ये
क्या
पूछ लिया :) :) ..बेबकूफी और वह भी जो याद रह जाये ..बहुत नाइंसाफी है अब भला कितनी याद रखे कोई
? और
कोई ऐसी जो याद कर लूं तो आज भी शर्मिन्दा हो जाती हूँ और एक - दो ऐसी भी जो मुझे बहुत दुखी कर देती हैं तो ...न हम दुखी होना चाहते हैं ,न शर्मिन्दा और जो बात टल गई सो टल गई हा हा हा
"राउया हंस दीं तो भोर हो जाई
सारी दुनिया अंजोर हो जाई"
उसका गाना ख़त्म होते ही मैं बहाने से उठ कर चली गयी...फिर वो जब तक रहा,उसके सामने नहीं आई.
अब हो जाता है..ऐसा कभी कभी...हमलोग भी तो इंसान ही हैं ना..:)
हूं .मुझे भी अब आयुर्वेद कि काफ़ी जानकारी हो गई है ,[रामदेव जी की कृपा से ] पर उससे क्या ..जो बेवकूफ़ी मैंने की है ,भुला नहीं सकती .हैप्पी होली.