गत २५ मार्च २०१२ को डॉ. कमलाप्रसाद की पुण्यतिथि के अवसर पर सतना में स्मृति-समारोह आयोजित किया गया. आप भी शामिल हों, इन चित्रमय झलकियों के साथ.... तस्वीरों में क्रमश: डॉ. अजय तिवारी, महेश कटारे, डॉ. काशीनाथ सिंह, कमलाप्रसाद जी की बेटियां और पत्नी श्रीमती रामकली पांडे, दिव्या जैन, डॉ. शबाना शबनम, प्रदीप चौबे, नरेन्द्र सक्सेना, दिनेश कुशवाह, कथाकार अनुज, और हरीश धवन.
मुख्य अतिथियों के इन्तज़ार में कुर्सियां
उद्घाटन सत्र में सम्बोधित करते डॉ. अजय तिवारी दूसरे सत्र में मंचासीन प्रसिद्ध कथाकार महेश कटारे और डॉ. काशीनाथ सिंह. दूसरा सत्र संस्मरण-सत्र था. ज़ाहिर है, कई बार सबकी आंखें नम हुई होंगीं. पहले सत्र की लम्बाई नियत अवधि से कुछ ज़्यादा ही हो गयी थी , सो दूसरे सत्र की समयावधि में कटौती करनी पड़ी. पहले सत्र का विषय था- प्रगतिशीलता की अवधारणा. स्मृति समारोह में इस विषय की उपयोगिता मुझे समझ में नहीं आई.
कार्यक्रम में कमलाप्रसाद जी का पूरा परिवार सुबह से रात तक उपस्थित रहा. चिन्ता आंटी की थी, जो इस उमर में भी पूरे समय कुर्सी पर बैठी रहीं, और जिनके मन की व्यथा हम सब समझ रहे थे.
तीसरे सत्र में काव्यगोष्ठी के ठीक पहले मेरे रंगमंच के साथी हरीश धवन की एकल नाट्य-प्रस्तुति थी. ऊपर उसी नाटिका का दृश्य. हरीश धवन की नाटिका का दृश्य-संयोजन किया उनकी पत्नी डॉ. दिव्या जैन धवन ने, जो खुद भी रंगमंच की बहुत बेहतरीन कलाकार हैं. एक अन्य चित्र में दिव्या, शबाना जी और मैं दिखाई दे रहे हैं. शबाना जी रोहतक से आयी थीं. वे रोहतक विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी की प्राध्यापक हैं और बहुत सुन्दर कविताएं लिखती हैं. एक चित्र में काशीनाथ जी के साथ मैं हूं, और दूसरे में श्रीमती डॉ. कमलाप्रसाद यानि आंटी के साथ मैं हूं. नीचे कवि नरेन्द्र सक्सेना और कथाकार अनुज दिखाई दे रहे हैं जो बनारस और ग्वालियर से आये थे. डॉ. नामवर सिंह और डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी अस्वस्थता की वजह से कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर सके.