सोमवार, 12 जनवरी 2009

मेरी पसंद


ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा,

मैं सज़दे में नहीं था, आपको धोखा हुआ होगा।

दुश्यंतकुमार

गुरुवार, 8 जनवरी 2009

भाई मेरे घर साथ न ले,

जंगल में डर साथ न ले,

चुल्लू भर पानी के लिये,

सात समन्दर साथ न ले।

पिछले दिनों ये पन्क्तियां नज़र में आईं, अफ़सोस कि लेखक का नाम नहीं मिल पाया;

फिर भी उस अनाम कवि को साधुवाद.........