मतदान के ठीक एक दिन पहले ही विन्ध्य के एक लोकसभा क्षेत्र में एक प्रत्याशी द्वारा नकली नोट बांटे जाने का सनसनीखेज़ मामला प्रकाश में आया है। एक स्थानीय दैनिक समाचार-पत्र में छपी इस घटना ने उन लोगों के कान खड़े कर दिए हैं, जो पहले ही नकली नोटों की चपेट में आकर चूना लगवा चुके है।
विन्ध्य के रैगांव रामनगर क्षेत्र में घटी इस घटना की जानकारी तब हुई जब एक मजदूर पाँच सौ का नोट लेकर बाज़ार पहुँचा। सतना बाज़ार पहले से ही नकली नोटों की मार झेल रहा है, सो दुकानदार ने उक्त मजदूर से पूछा की उसे ये नोट कहाँ मिला ? मजदूर के अनुसार दो दिन पहले प्रत्याशी महोदय अपने लाव-लश्कर के साथ रात में दलितों की बस्ती में पहुंचे,फिर वहाँ पहले तो जमकर शराब की दावत दी गई,फिर जब लोग नशे में चूर हो गए तो उन्हें पाँच-पाँच सौ के ये नकली नोट बांटे गए। साथ ही ताकीद की गई की इन नोटों को चुनाव के बाद ही खर्च किया जाए। वो तो उक्त श्रमक को सामन की ज़रूरत थी सो वह वही नोट लेकर आ गया।
इस तरह के मामले होते रहते हैं, लेकिन इस मामले में ख़ास बात ये है की यदि जिला पुलिस अधीक्षक ने तत्परता से काम लिया तो सम्भव है की नकली नोट बनाने वालों की गैंग ही पकड़ जाए। ध्यान देने वाली बात है, कि उक्त प्रत्याशी के पास य नकली नोट कहाँ से आए? क्या उसका ताल्लुक भी इस गैंग या उसके सदस्यों से?
हालांकि जानती हूँ, कल मतदान है, पुलिस-प्रमुख के पास अभी इस मुद्दे पर ध्यान देने का समय ही कहाँ है? और फिर तो हम सब जानते हैं, कि रात गई सो बात गई। फिर कैसा प्रत्याशी कैसे नोट!
इस देश का अल्लह बेली.
जवाब देंहटाएंवंदना जी जब ऐसे नेता हमारे देश को चलाएंगे तो देश का भगवान् ही मालिक है|
जवाब देंहटाएंhum pragtee ke path pe aage badh rahe hai...desh par raaj dekho kon kar rahe hai..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! क्या बात है वन्दना जी!
जवाब देंहटाएंपाकिस्तानी ने यहाँ के चुनाव में भी दखल देना शुरू कर दिया है। इस घटना को गम्भीरता से लेना होगा। चुनाव आयोग कहाँ सो रहा है?
वंदना जी सबसे पहले आपको धन्यवाद कि आपने त्वरित प्रतिक्रिया से प्रोत्साहित किया।
जवाब देंहटाएंमुझे ब्लाग की दुनिया में आप जैसे लोग ही लाए हैं।
आशा है आगे भी मुझे अपने विचारों से अवगत कराती रहेंगी।
आपके मतदान वाली टिप्पणी समसामयिक है। असरकारक है।
आपका
रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति
ravindraswapnil.blogspot.com
जी हाँ, जाने क्या होगा इस देश का, मैं अक्सर यह सोचकर सिहर ही जाता हूँ। लेकिन अब परिवर्तन की किरनें नज़र आने लगी हैं।
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तख़लीक़-ए-नज़र । चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें । तकनीक दृष्टा
yah to ek kadawi sachchaai hai fake currency ne to desh ki economy ko tabaah kar diya hai ...
जवाब देंहटाएंआप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंjanakari achchi lagi shukria
जवाब देंहटाएंडर लगता है सोचके कि क्या होगा इस देश का! कौन लाएगा परिवर्तन!!
जवाब देंहटाएंहां अरुणा जी, जिस देश के नेता ही गलत कामों में लिप्त हों, उस देश का भगवान ही मालिक!!
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