रविवार, 12 अप्रैल 2009

लाचार हैं,शहंशाहे-ग़ज़ल...

शहंशाहे -गज़ल मेंहदी हसन साहब पिछले चार सालों से लकवा ग्रस्त हैं, और अपने बेटों पर आश्रित हैं। चार साल पहले ही वे मुम्बई आए थे इलाज़ के सिलसिले में। अपने पसंदीदा गायक को इस हाल में देख उनके चाहने वालों ने दिल खोल कर मदद की। हसन साहब के बेटों का कहना था कि पैसों के अभाव में उनका समुचित इलाज नहीं हो पा रहा। हिंदुस्तान में मेंहदी हसन साहब को चाहने वालों की लम्बी फेहरिस्त है, और वे अपने शहंशाह को अभावग्रस्त कैसे देख सकते थे।
आज चार साल बाद भी मेहँदी हसन साहब बिस्तर पर पड़े रहने को मजबूर हैं, क्यों? जबकि देश विदेश से उनके चाहने वाले आर्थिक मदद कर रहे हैं? उनके बेटे लाखों रुपयों में भी उनका इलाज क्यों नहीं करवा पा रहे?
उन रुपयों का क्या कर रहे जो इलाज के लिए आ रहे हैं? क्यों अपने उस पिता के नाम का ग़लत फायदा उठा रहे हैं, जिन्होंने पैसे को कभी महत्त्व ही नहीं दिया? क्यों नहीं उनका ठीक से इलाज करवाते? क्या शहंशाहे -ग़ज़ल , जिसने सब के दिलों पर राज किया को सुकून भरी अन्तिम सांसे नसीब नहीं होंगी ??

10 टिप्‍पणियां:

  1. vandanaa jee,
    mujhe bilkul nahin pata tha ki mehndee hasan in halaton mein hain ,yahee tp antim sach haiin deshon kaa .lekhan ke liye badhai aur shukriya.

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  2. जमाने का दस्तूर ही कुछ ऐसा है वंदना जी इस अर्थयुग में सारे रिश्ते पैसे के तराजू में तुले जाते हैं, परन्तु मेहँदी हसन साहब की ये हालत जानकर वाकई दुःख हुआ | मेहँदी हसन साहब के लिए ऊपरवाले से दुआ और आपको इस लेख के लिए बधाई

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  3. छोटे किंतु सम्वेदन शील आलेखों को पढ़ कर अच्छा लगा । बस्तुत: ऐसी पत्रकारिता ही देश को बचा सकती है ।
    यहसब पढा ,इन पोस्ट्स में समाचार भी है ,उसका विश्लेष्ण भी . पर साथ ही एक दिशा बोधक टिपण्णीhoni chahiye ,
    आपके यह पोस्ट समाचार पत्रों के माध्यम से आमजनता तकbhi पहुचना चहिये ।

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  4. शहंशाह-ए-गजल मेंहदी हसन के स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ।
    वन्दना अवस्थी दूबे जी!
    आपने मेरी एक पोस्ट में अपनी टिप्पणी में भावनाओं में डूब कर विष्णु प्रभाकर जी को श्रद्धांजलि देने की जगह मुझे ही श्रद्धांजलि से नवाज दिया। आभारी हूँ। यदि बुरा न मानें तो पुनः विष्णु प्रभाकर जी को श्रद्धा-समुन चढ़ा दें । वैसे मुझे भी तुम्हारे श्रद्धा-समुन स्वीकार हैं।

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  5. मेंहदी हसन jiके स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ |
    मैनें आप का ब्लाग देखा। बहुत अच्छा लगा।हर रविवार को नई ग़ज़ल,गीत अपने तीनों ब्लाग पर डालता हूँ। मुझे यकीन है कि आप को जरूर पसंद आयेंगे....
    - प्रसन्न वदन चतुर्वेदी

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  6. हसन साहब कि फ़िक्र है हमें भी..
    मगर ऐसा नहीं लगता कि उनके बेटे जानबूझ कर इलाज में कोताही बरत रहे होंगे...

    हो सकता है कि उनके नसीब में ही ना लिखा हो स्वस्थ होना...

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