"भीषण झंझावात किसी वृक्ष को आमूल विध्वस्त कर,
हमारे मार्ग को अवरुद्ध कराने इसलिए नहीं डालता ,
कि हम अपनी यात्रा पूरी न कर सकें;
वह तो वृक्ष को उखाड़ कर इसलिए हमारे पथ को अवरुद्ध कर देता है,
कि क्षण भर हमें रोक कर वह यह तो पूछ ले
कि आख़िर हम अपने आप को समझते क्या हैं???"
Aakhir hum apne ko samajhte kya hai.....
जवाब देंहटाएंSunder aur satya lekhan ke liye badhai....likhte rahiye....
रिश्ते-नाते और उसूल खाक भर है.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत अब सिर्फ़ मजाक भर है.
अरे,सबकी निगाहें गोल-गोल पे
संवेदना महज बकबास भर है.
धज्जियाँ भर लगी हरेक शै की
असल में अच्छाई बात भर है.
तरस आए इश्क में चूर लोगों पे
मजा इसमे डाल-पात भर है.
समझाए कोई नादान जवानी को
इश्क बस विरह-विलाप भर है
लुटने --लूटाने का दौड़ है अभी
सत्य-ईमान-धर्म नकाब भर है.
वक़्त अभी है जान ले दुनिया को,ये
नई बोतल में पुरानी शराब भर है.
रचना की तिथि---०९/०४/०९
बेला---- सुबह की
waah waah, kavita bahut hi achchi hai....vriksh ke maadhyam se badi baat keh di
जवाब देंहटाएंक्या बात है
जवाब देंहटाएंnice ...post...dil se jo aawaj nikali bhai dard to jarur hoga ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब। कहते हैं कि-
जवाब देंहटाएंवह पेड़ जो तन के खड़ा था जड़ से उखड़ गया।
वाकिफ नहीं था वो हवा के मिजाज से।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
"आख़िर हम अपने आप को समझते क्या हैं?"
जवाब देंहटाएंवदना अवस्थी दूबे जी!
यही तो विडम्बना है कि हम घमण्ड में चूर हैं।
उन पेड़ों से भी शिक्षा नही लेते जो झंझावात के
जरा से तूफान में ढह जाते हैं।
कम शब्दों में सुन्दर अभिव्यक्ति।
बधाई।
आप सबने इतने सुन्दर शब्दों में टिप्पणियां कर मेरा हौसला बढाया है,कि धन्यवाद जैसे औपचारिक शब्द से उनका महत्व कम नहिं करना चाहती. स्नेह बनाये रखें.
जवाब देंहटाएंThis is good information sir( Click here )
जवाब देंहटाएंWhatsapp status video download
जवाब देंहटाएंDOWNLOAD NEW WHATSAPP STATUS VIDEO
जवाब देंहटाएंGood information nice
जवाब देंहटाएं