शुक्रवार, 27 मार्च 2009

मुक्तक

चांद उठता है तो, तम दूर चला जाता है,

नेह की छांव में गम दूर चला जाता है.

चलती राहों पे अपना प्यार लुटाने वालो,

इश्क की ओट में,ईमान छला जाता है.

आर.आर.अवस्थी

6 टिप्‍पणियां:

  1. इश्‍क ही क्‍या जब इमान दला जाय

    मुक्‍तक बहुत अच्‍छा है

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  2. नेह की छांव में गम दूर चला जाता है.
    सुन्दर शास्वत कहन पर बधाई

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