ज़िन्दगी के कुछ ऐसे पल,
जिन्हें हम भोगना चाहते हैं,
लेकिन वे हमसे दूर भागते हैं;
शायद हमसे बचना चाहते हैं ,
हम पकडना चाहते हैं उन्हें,
और वे समा हो जाते हैं,
काल के निर्मम गाल में;
और हम परकटे परिंदे की तरह
देखते रह जाते हैं,
रह जाता है, अंतहीन इंतज़ार-
कि हम से रूठे पल कभी तो वापस आयेंगे.
अच्छी प्रस्तुति। पूरी गंभीरता है। कोशिश जारी रखिए। वक्त निकालकर मेरे ब्लॉग पर भी पधारें। शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंज़रूर युसुफ़ जी. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंbahut achchha likhti hain aap
जवाब देंहटाएंsweet thoughts..
जवाब देंहटाएंachchha likha hai aapane.
जवाब देंहटाएंbadhai.
AAPKI SWAGAT AUR SUBHKAMNAE KE LIYE DIL SE DHANYWAD.
जवाब देंहटाएंKUCH NAYE VICAR LIKHE HAIN MAIN APNE BLOG PER..AP DEKHE UNHE, ABHI KUCH KACCHA HU LIKHNE MAIN PARANTU EK KOISHS KAR RAHA HU.
FIR MULAKAT HOGI...IS AASHA KE SAATH.
SANJAY
bahut sudar,,,,,,,,
जवाब देंहटाएंswagat hai....
gazalo k lie log on karen
www.syaah.blogspot.com
आप सब का दिल से शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंbahut khoob!
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