आप सबकी, ज़िद, दुआओं और रुझान प्रकाशन की असीम अनुकम्पा से मेरी कहानियां अब पुस्तक रूप में आपके पास पहुंचने को बेताब हैं. लेकिन पहुंचेंगी तभी, जब आप इन्हें मंगवायेंगे 😖 बहुत से साथी ऑर्डर कर चुके हैं, जिन्होंने नहीं किया, उम्मीद है वे भी जल्दी ही प्रति मंगवाने का बंदोबस्त करेंगे. मैं आज आप लोगों से भी खुल के किताब खरीदने की अपील कर पा रही हूं, क्योंकि मैने किताबें हमेशा ही खरीद के पढ़ने की आदत डाली है, खासतौर से अपने दोस्तों की किताबें. जब नामचीन लेखकों की किताबें हम खरीद के पढ़ते हैं तो अपने दोस्तों की किताब ही मुफ़्त में क्यों पाना चाहेंगे? है न? तो अब ज़रा जल्दी-जल्दी हाथ चलाइये इस लिंक पर.
http://rujhaanpublications.com/product/baaton-wali-gali/
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सुनो सुनो सुनो ...ब्लॉग जगत की कहानियों की रानी की पहली किताब, तहलका मचाने को तैयार. सुनो सुनो सुनो ...
जवाब देंहटाएंतुम्हारे जैसी दोस्त हो तो तहलका मचना ही है :)
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " 'बंगाल का निर्माता' की ९२ वीं पुण्यतिथि “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार आपका.
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (08-08-2017) को "सिर्फ एक कोशिश" (चर्चा अंक 2699) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत आभार आपका.
हटाएंबधाई, वंदना जी :)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी :)
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