गुरुवार, 3 अक्टूबर 2013

चंद तस्वीरें................

सेवाग्राम रेल्वे स्टेशन, जहां पैर रखते ही मन गांधीवादी होने लगता है :) स्थान की महिमा है भाई... हां, स्टेशन बहुत साफ़-सुथरा है. लम्बा प्लेटफ़ॉर्म एकदम कचरारहित मिला मुझे तो. स्टेशन का नाम भी दीवार पर जिस कलात्मकता के साथ लिखा है, वो भी बहुत भाया मुझे. सेवाग्राम + वर्धा का  पूरा नक्शा बना है इस पर स्टोन कार्विंग के ज़रिये.
ये जो मोहतरमा आप को दिखाई दे रहीं हैं, इनका नाम वन्दना अवस्थी दुबे है. तस्वीर खिंचवाने कि लिहाज से एकदम नहीं खड़ी थीं ये, वो तो उनके श्रीमान जी उमेश दुबे की मेहरबानी है, जो वे खुद तस्वीर में तब्दील हो गयीं, इस वक्त :)

हबीब तनवीर सभागार पहुंचते ही जिनसे  आमना-सामना हुआ वे थे ललित शर्मा. एकदम लपक लिया उन्होंने. "वंदना जी नमस्कार करते हुए साथ ही "पहचाना मुझे?" का जुमला भी उछाल दिया... अब भला ललित जी को कौन न पहचान लेगा? खुशी तो मुझे ये हुई कि मैं पहचान ली गयी :) ललित जी के पीछे ही संजीव तिवारी भी प्रकट हुए और दीदी, पहचान लिया न मुझे? कुछ इस मासूमियत से पूछा, कि ऐसे में कौन न उन्हें पहचान लेगा? उनके साथ संध्या शर्मा भी थीं, खूब अच्छा लगा सबसे मिल के.



पहले सत्र के बाद बाहर निकले, तो परिचय की
 स्थिति अब और मजबूत हो गयी थी
डॉ. प्रवीण अरोड़ा से मिल के अच्छा लगा. 
प्रवीण पांडे तो हैं ही बहुत अच्छे, मासूम बच्चे से         और अविनाश जी? अब उनकी क्या कहें? खूब खुशदिल हैं, बस कभी-कभी अपनी तबियत से परेशान हो जाते हैं... भगवान उन्हें जल्दी स्वस्थ करें..
मंच पर बैठे लोगों को अब तमाम पोस्टों के बाद पहचानना मुश्किल नहीं है न?



यहां भी वही सब पहचाने लोग...कुछ को आप लोग भी तो पहचानने की कोशिश करें भाई...



हर्षवर्धन त्रिपाठी बेवाक व्यक्तित्व हैं. बहुत अच्छा लगा उनसे मिलना. सिद्धार्थ जी से मिलना तो अच्छा लगा ही :) अब फिर से मिलने का इन्तज़ार है.

26 टिप्‍पणियां:

  1. घर बैठे आपने हमारी भी सैर करवा दी :-)
    बढ़िया तस्वीरें...

    सस्नेह
    अनु

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  2. इन साथी ब्लागर्स की इमेज कों शेयर करके ,आपने बहुत ही उदारता का कार्य किया हैं |आप सभी ब्लाग्गिंग के स्टार हैं ,जिनका ब्लॉग पढ़ने और ब्लॉग गढ़ने वालों की निगाहों में ,उनके लिए हृदय में बड़ा सम्मान हैं |
    आप सभी सुपर-स्टार्स कों प्रणाम |
    डॉ अजय “अजेय-असीम{Unlimited Potential}”

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    1. अर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रे............ सुपर-उपर स्टार क्या? कुछ न. बहुत आशीर्वाद आपको.

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  3. बढ़िया तस्वीरें... के साथ सैर भी हो गयी वंदना दी आभार

    शब्दों की मुस्कुराहट पर ....क्योंकि हम भी डरते है :)

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  4. हमे भी सभी से मिलकर खूब-खूब अच्छा लगा. खास तौर से आपसे मिलकर....

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  5. आँखों देखा हाल , जैसे आँखों के सामने तस्वीरे चल रही है ......

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  6. मेरी तस्वीर के आते-आते कैप्शन लगाना गैर जरूरी हो गया। :)
    हम तो यूँ ही पहचान लिये जाते हैं, क्यो?

    बहुत अच्छा संयोजन।

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    1. अरे आप तो यूं ही पहचान लिये जाते हैं जनाब.... ये ऐप्शन-कैप्शन तो हम जैसों के लिये जरूरी हैं..कुछ इस तरह कि-
      एक मै हूँ जिस का होना हो के भी साबित नहीं
      एक वो है, जो न हो कर जा-बजा मौजूद है . :)

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  7. सभी दिग्गजों को एक मंच पे देखना अच्छा लगा ... संयोजन आशातीत रहा होगा ...
    आभार ...

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  8. चित्रों ने व्यक्त कर दी स्मृतियाँ, फिर से। वही बरसता वर्धा याद आ गया।

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  9. ब्लोगिंग के सितारे.... बोले तो सुपर स्टार्स.... अच्छी रपट रही....

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  10. शुक्रिया वंदना जी। आशा करते हैं जल्दी मिलेंगे।

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