१४ जून २०१२ को मेरी भांजी की शादी थी. ये शादी सतना से हुई, सो तमाम ज़िम्मेदारियां मेरे और उमेश जी के कंधों पर थीं ( उमेश जी के कंधे तो काफ़ी मजबूत हैं, लेकिन मेरे....? ) ख़ैर, शादी बड़ी धूम-धाम और बिना किसी व्यवधान के सम्पन्न हुई. १३ जून को हमारे यहां संगीत-सभा थी. आम तौर पर शादियों में महिला-संगीत का रिवाज़ है, लेकिन हमारे यहां यह संगीत-सभा की तरह होती है जिसमें महिला, पुरुष या बच्चों को वर्गीकृत नहीं किया जाता बल्कि सभी लोग इसमें भाग लेते हैं लिहाजा माहौल बहुत खुशनुमा हो जाता है.
शादी के लिये अपने सभी मेहमानों के रुकने का इंतज़ाम सदगुरु रिज़ॉर्ट में किया गया था, जो शहर से १० कि.मी. दूर था. काम, मेहमान और भागदौड़ के चलते देश-दुनिया की खबरों से लगभग दूर ही थी. संगीत वाले दिन बच्चों-बड़ों के नाच-गाने के बाद साढे दस बजे जब ग़ज़ल- संध्या (संध्या..??? ) आरम्भ हुई तो हमारे मामा जी ने सूचना देते हुए अनाउंसमेंट किया-
" आज ग़ज़ल सम्राट मेंहदी हसन साहब नहीं रहे, तो ये शाम उन्हीं के नाम...."
मैं स्तब्ध!
बहुत छोटी थी, तब से लेकर आज तक केवल एक ही गायक मेरा पसंदीदा था, और वो थे मेंहदी हसन साहब. लम्बे समय से बीमार चल रहे मेंहदी साहब के बारे में कभी भी ऐसी खबर आ सकती है, ये अंदाज़ा तो मुझे भी था, लेकिन सच मानिये, उनकी बीमारी की खबर जब भी पढती थी, मैं मन ही मन उनके कभी न जाने की दुआएं करने लगती थी. बहुत मन था उनसे मिलने का लेकिन नहीं मिल सकी .
सोचा था कि इस बार अगर वे इलाज़ के सिलसिले में हिन्दुस्तान आये, तो मैं उनसे मिलने ज़रूर जाउंगी, लेकिन वे आये ही नहीं.
मेंहदी साहब को मैने तब से जाना, जब मैं छह साल की रही होउंगी. मेरी बड़ी
दीदी रेडियो की ऐसी दीवानी कि खाना बनाते, खाते, सफ़ाई करते, यहां तक कि पढते हुए भी रेडियो सुनती रहतीं. दुनियां भर के स्टेशन उन्हें मालूम थे. रात को जब उर्दू सर्विस का फ़रमाइशी कार्यक्रम खत्म होता तो रेडियो पाकिस्तान शुरु हो जाता. उद्घोषक की दानेदार आवाज़ कानों में पड़ती-
" हम रेडियो पाकिस्तान/मुल्तान/करांची से बोल रहे हैं ..... पेशेखिदमत है फ़िल्मी
नग़मों का फ़रमायशी कार्यक्रम.. ग़ुलदस्ता....
"...अब जिस खूबसूरत नग़में को हम पेश कर रहे हैं उसे आवाज़ दी है मेंहदी हसन ने..."
बस. तभी से मेंहदी हसन साहब का नाम मेरी ज़ुबान पर और आवाज़ कानों में घर कर गयी. उस वक़्त वे पाकिस्तानी फ़िल्मों के लिये गाया करते थे. " देख तू दिल कि जां से उठता है, ये धुआं सा कहां से उठता है..."
" रफ़्ता-रफ़्ता वो मेरे हस्ती के सामां हो गये....." और "प्यार भरे दो शर्मीले नैन....." लगभग रोज़ ही रेडियो पर आते थे. पाकिस्तानी ग़ायको में मुझे बस तीन चार नाम ही सुनाई देते थे जिनमें से याद
केवल दो रह गये - मेंहदी हसन, और नाहिद अख्तर.
छह साल की उम्र में जो दीवानगी मेंहदी साहब की आवाज़ के लिये मेरे दिल में थी वही आज भी है. मेरे कानों को कोई और जंचता ही नहीं.
सोचती थी कि मेंहदी साहब के निधन की खबर का दिन कितना भारी गुज़रेगा ..............
लेकिन उनके जाने के दिन हमारे यहां उत्सव का माहौल था ...... फिर भी मन में ये तसल्ली थी, कि हम उस महान गायक को उसके ही लायक, सुरसिक्त , सच्ची श्रद्धान्जलि दे रहे है.
लम्बे समय से बीमार मेंहदी साहब को जाना तो था ही १२ साल से तक़लीफ़ झेल रहे हसन साहब को भी शायद तक़लीफ़ों से मुक्ति मिली. लेकिन कितना अटपटा लगता है ये सुनना कि दो साल से उस गायक की आवाज़ बन्द थी, जिसने कभी काम के दौरान भी अपने सुर बन्द नहीं किये.....?
१३ जून की रात हमने भी उन्हें श्रद्धान्जलि स्वरूप अपने घर की संगीत-निशा समर्पित की.
उनके निधन की खबर के बाद ऐसा एक दिन भी नहीं था, जब मैने उन्हें याद न किया हो, आज उनकी याद को यहां बांटने का मौका मिल ही गया. इस महान गायक को विनम्र श्रद्धान्जलि.
( नीचे तस्वीर में मेरी छोटी दीदी अर्चना और मेरा भाई धनन्जय, ये दोनों शास्त्रीय और सुगम संगीत के बहुत अच्छे गायक है.)
बहुत प्यारी भावभीनी पोस्ट....
जवाब देंहटाएंमेहदी हसन साहब को श्रद्धा सुमन,,,
उनकी जगह सदा खाली रहेगी.....
सस्नेह
अनु
आभार अनु जी.
हटाएंमेहँदी हसन जैसा कलाकार सदियों में कोई एक होता है
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ
सही है.
हटाएंयाद तो आना बनता है,
जवाब देंहटाएंप्यार उसी से रमता है।
जी प्रवीण जी. :)
हटाएंभावभीनी श्रद्धांजलि इस महान कलाकार के लिए ...
जवाब देंहटाएंआभारी हूं.
हटाएंभावमय करती प्रस्तुति ... मेहदी हसन जी को विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सदा जी.
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टीम हमारीवाणी
जी लगाउंगी मोनो जल्दी ही.
हटाएंमेंहदी हसन जैसा दूसरा होना संभव नहीं ..
जवाब देंहटाएंसत्यवचन.
हटाएंभाव मयी सुन्दर प्रस्तुति..मेहदी हसन जी को विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंआभार महेश्वरी जी.
हटाएंभावभीनी श्रद्धांजलि ...
जवाब देंहटाएंआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है कहानी सिक्कों की - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
धन्यवाद शिवम जी.
हटाएंभावभीनी श्रधांजलि है गज़ल के महानायक को ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सरल, सहज और भावभीनी पोस्ट है आपकी ...
धन्यवाद दिगम्बर जी.
हटाएंमेहंदी हसन तो ग़ज़ल सम्राट हैं...
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
सचमुच रश्मि.
हटाएंis duniya me bhut se aise log bhi hote hai jo apni mout ke sath hi gumnami ke andhere me gum ho jate hai out kuchh aise bhi hote hi jinhe chah ke bhi bhulaya nhi ja skta hai . mehndi saheb aisi hi skhshiyat hai jo hmesha hmesha apne chahne walo ke dilo--dimag me apni aawaz se dstak dete rhenge .
जवाब देंहटाएंएकदम सही कहा आपने.
हटाएंआपका परिवार भी संगीत से जुदा है सुनकर अच्छा लगा ...
जवाब देंहटाएंपापा को भी गाने का बहुत शौक था ,,,मुकेश के , सहगल के गीत उन्हें बहुत पसंद थे आवाज़ भी बिलकुल उनकी तरह ...
पर उनके शौक को कोई आगे न बढ़ा पाया ....
@ दो साल से उस गायक की आवाज़ बन्द थी,
रब्ब की रब्ब ही जाने किसी गायक से उसकी आवाज़ छीन तो उसे जीते जी मार देना जैसा ही है
सुना है राजकुमार को भी गले का कैंसर था और उनकी आवाज़ भी अंतिम दिनों बंद हो गई थी ....?
हाँ संभवत: आपको पुस्तक नहीं मिली पता मेल करें .....!!
हरकीरत जी, मेरा पूरा परिवार संगीत और साहित्य से जुड़ा है. बाक़ायदा संगीत की शिक्षा सहित. कितना अच्छा लगता है अगर परिवार संगीत से जुड़ा हो तो, है न? आवाज़ के धनी व्यक्ति की आवाज़ ही चली जाये, कितना तक़लीफ़देह है ये...
हटाएंमुझे किताब नहीं मिली है हरकीरत जी :( मैने कई बार शैलेश भारतवासी जी को फोन लगाया, लेकिन सम्पर्क नहीं हो सका :(
बहुत धनी है आप |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अमित जी .
हटाएंदेर से आया लेकिन दुरुस्त आया ना . संगीत की दुनिया में कुछ सशक्त हस्ताक्षरों में से एक थे मेहंदी हसन साब. ग़ज़ल गायकी के देदीप्यमान सितारे . उनको मेरी श्रद्धांजलि. आपके अनुज और अनुजा की गीत प्रस्तुति भी सुनाई जाए.
जवाब देंहटाएंजी आशीष जी. इनकी गीत-प्रस्तुति भी सुनवाउंगी जल्दी ही.
हटाएंवंदना जी आप के भावों से अभिभूत हो गये ....मेरी भी श्रद्धांजलि|बहुत अच्छा लगा जान कर कि आपका परिवार संगीत और साहित्य मे इतनी रुचि रखता है ...!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुपमा जी.
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति ..........गजल गायक को श्रधांजलि
जवाब देंहटाएंआभार संध्या जी.
हटाएंखरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है
जवाब देंहटाएंजो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन
राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे
इसमें राग बागेश्री
भी झलकता है...
हमारी फिल्म का संगीत वेद
नायेर ने दिया है... वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
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आज मेरा वंदना ब्लॉग डे है ;) बहुत ही बढ़िया पोस्ट ....मेहंदी हसन का तो जवाब नहीं ..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रंजू, यहाँ आने का और तमाम पोस्ट पढने का भी...:)
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