मातृदिवस की साथर्कता इस बात में है कि वैसे तो हम अपनी माँ को याद करते हैं, पर इस दिन माँ को लेकर अपनी भावनाएँ हम आपस में बांटते हैं, एक-दूसरे की माँओं से मिल लेते हैं. माँ को प्रणाम :) आपकी माँ बहुत सुन्दर हैं, एकदम आपकी तरह :)
वन्दना जी, मनोज जी ने अपने ब्लॉग पर इसका इतिहास बताया था.. लेकिन मैं भी यही मानता हूँ कि अपने अपनों को प्यार करने के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं..हर दिन प्यार का दिन.. माता जी को प्रणाम!!
जी सलिल जी. ये तो सब पाश्चात्य ढकोसले हैं, जहां रिश्तों की अहमियत ही नहीं, वहां हर रिश्ते को याद करने के लिये के लिये कोई दिन विशेष बना लिया गया है :) वैसे आराधना की बात भी मुझे अच्छी लगी है :)
Sirf Maa hi nahi waran kisi bhi rishte ke liye koi ek din nahi ho sakta par aise ek din unki mahatta ko shabit karne ke liye jaroori bhi hai... aapki prastuti achhi hai...
Ma ke upar din nirdharan sayad apni niji jindagi me prktyaksh roop se ek utsav ke roop me is mauke ko manane ke liye,kiya gaya hoga. Bhavnao ko ham hamesha mahotsava me tabdeel nahi kar pate hai na. Is liye sayad.
हमारा भी नमन........
जवाब देंहटाएंकाश की हर माँ को वो प्यार और मान मिले जिसकी वो अधिकारी है..
सचमुच. आज के दिन के लिये बहुत सार्थक प्रार्थना है ये.
हटाएंमाँ के चेहरे पर सौम्यता और ममत्व, ईश्वरीय भेट है जगत को . जननी के लिए अप्रतिम उदगार .,हमारे शब्द पुष्प मातृ शःक्ति को अर्पण . .
जवाब देंहटाएंआपके शब्द मैं मां तक पहुंचा रही हूं :)
हटाएंमाँ को नमन..
जवाब देंहटाएंआपका प्रणाम पहुंचा दूंगी यथास्थान :)
हटाएंमाँ को शत- शत नमन ……सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वंदना जी.
हटाएंमाँ को अनेकानेक नमन.
जवाब देंहटाएंआपकी बात से पूर्ण सहमत हूँ कि मातृ-दिवस क्या एक दिन का त्योहार है, शायद नहीं.
धन्यवाद रचना जी.
हटाएंमनभावन पोस्ट.... हे माँ तुझे प्रणाम ... शत शत नमन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद महेन्द्र जी.
हटाएंमाँ को नमन !
जवाब देंहटाएंआपका प्रणाम पहुंचा दूंगी यथास्थान :)
हटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - माँ दिवस विशेषांक - ब्लॉग बुलेटिन
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी :) पहुंच रही हूं.
हटाएंमातृदिवस की साथर्कता इस बात में है कि वैसे तो हम अपनी माँ को याद करते हैं, पर इस दिन माँ को लेकर अपनी भावनाएँ हम आपस में बांटते हैं, एक-दूसरे की माँओं से मिल लेते हैं. माँ को प्रणाम :) आपकी माँ बहुत सुन्दर हैं, एकदम आपकी तरह :)
जवाब देंहटाएंसही है आराधना. मां सचमुच बहुत सुन्दर हैं. और मैं सुन्दर हूं? मैं तो शरमाई जा रही हूं :) :) :)
हटाएंमाँ को नमन !
जवाब देंहटाएंमाँ है मंदिर मां तीर्थयात्रा है,
माँ प्रार्थना है, माँ भगवान है,
उसके बिना हम बिना माली के बगीचा हैं!
संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी
धन्यवाद राजपुरोहित जी.
हटाएंमुझे तो यह अपनी माँ लग रही हैं ....
जवाब देंहटाएंप्रणाम इन्हें !
जब मिलेंगे, तो कह ही नहीं पायेंगे कि ये आपकी मां नहीं हैं :)
हटाएंआता हूँ किसी दिन ....
हटाएंआभार !
ज़रूर. स्वागत है.
हटाएंमाँ को नमन ...
जवाब देंहटाएंआपका प्रणाम मां तक पहुंचा रही हूं महेश्वरी जी.
हटाएंवन्दना जी,
जवाब देंहटाएंमनोज जी ने अपने ब्लॉग पर इसका इतिहास बताया था.. लेकिन मैं भी यही मानता हूँ कि अपने अपनों को प्यार करने के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं..हर दिन प्यार का दिन.. माता जी को प्रणाम!!
जी सलिल जी. ये तो सब पाश्चात्य ढकोसले हैं, जहां रिश्तों की अहमियत ही नहीं, वहां हर रिश्ते को याद करने के लिये के लिये कोई दिन विशेष बना लिया गया है :) वैसे आराधना की बात भी मुझे अच्छी लगी है :)
हटाएंमाँ को नमन ……
जवाब देंहटाएंआपको भी मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें
धन्यवाद सोनू जी.
हटाएंआपको भी मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंमाँ तो माँ है. शत शत नमन
जवाब देंहटाएंआभार वर्मा जी.
हटाएंमाँ को प्रणाम.
जवाब देंहटाएंपहुंचा दूंगी :)
हटाएंमाँ को प्रणाम.
जवाब देंहटाएंआदरणीय वंदना दी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
सबसे पहले माँ को नमन
मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनायें....!!
धन्यवाद संजय.
हटाएंसचमुच माँ हमेँ ईश्वर की सर्वोत्तम देन है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
इंडिया दर्पण की ओर से मातृदिवस की शुभकामनाएँ।
माँ को प्रणाम.....
जवाब देंहटाएंआभार.
हटाएंदुनिया की हर मां को नमन!
जवाब देंहटाएंआभार मनोज जी.
हटाएंकितने दिनों के बाद आंटी को देखा, प्रणाम मेरा.
जवाब देंहटाएं:) :) :)
हटाएं.
जवाब देंहटाएंमां'जी को सादर प्रणाम ! नमन ! चरण स्पर्श !
वंदना बहन जी
आपकी और आदरणीया माता जी की सूरत हू ब हू मिल रही है …
:)
हार्दिक मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
अच्छा तो आप भी अनुराधा के साथ हो गये??? :) :) अब धन्यवाद तो बनता ही है :)
हटाएंमाँ का आशीर्वाद सब पर यूं ही बना रहे |
जवाब देंहटाएंसादर |
आमीन.
हटाएंवंदना जी मेरा भी प्रणाम माँ को ....शादी से पूर्व मैं भी अवस्थी ही थी ...!!आप मेरी बहन ही हुईं ....!!
जवाब देंहटाएंअरे वाह!!! तब तो एकदम बहन ही हुईं आप अनुपमा जी.
हटाएंमाँ को नमन..
जवाब देंहटाएंपहुंचा रही हूं :)
हटाएंपहुंचा रही हूं :)
जवाब देंहटाएंहर दिन तो माँ का होता ही है .. पर आजका दिन कुछ ज्यादा हो जाए तो क्या बुरा है ... शायद नहीं ... और आपने भी तो यही सोच के ये पोस्ट लिखी है ...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल दिगम्बर जी. आभार.
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रसन्न जी.
हटाएंSirf Maa hi nahi waran kisi bhi rishte ke liye koi ek din nahi ho sakta par aise ek din unki mahatta ko shabit karne ke liye jaroori bhi hai... aapki prastuti achhi hai...
जवाब देंहटाएंमुझे भी ऐसा ही लगता है अभिषेक जी. आभार.
हटाएंMa ke upar din nirdharan sayad apni niji jindagi me prktyaksh roop se ek utsav ke roop me is mauke ko manane ke liye,kiya gaya hoga. Bhavnao ko ham hamesha mahotsava me tabdeel nahi kar pate hai na. Is liye sayad.
जवाब देंहटाएंआभार.
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में मां को इतना बड़ा कर दिया, आखें नम हो गयी.
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