कितना अजीब लगता है ये सोचना भी कि अब उनकी कोई नयी ग़ज़ल हमें सुनाई नहीं देगी. वो आवाज़ जो लाखों-करोड़ों दिलों पर राज कर रही थी, अब खामोश हो गयी है.
अचानक ब्रेन हेमरेज़ होने और ऑपरेशन होने के बाद उनसे सम्बन्धित कोई खबर किसी भी न्यूज़ चैनल में नहीं आ रही थी. अखबारों में भी कोई खबर नहीं थी, तो लगा कि शायद अब उनकी हालत बेहतर हो रही होगी. ये तो कल्पना भी नहीं की थी हमने कि वे इस तरह चुपचाप, इतनी जल्दी चले जायेंगे! लगता है जैसे हमने उन्हें अभी ही तो सुनना शुरु किया था! इतनी ताज़गी थी उनकी आवाज़ में कि उन्हें गाते हुए ३४ साल हो गये, लगता ही नहीं था.
मैं बहुत छोटी तो नहीं लेकिन स्कूल में पढती थी तब उन्हें सुनना शुरु किया. मेरी दीदी " पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइये..." गाती रहती थीं, और मैने तभी जाना कि ये किन्हीं जगजीत सिंह-चित्रा सिंह की गायी ग़ज़ल है. फिर कुछ दिनों बाद उनका रिकॉर्ड "अनफ़ोर्गेटेबल" देखा. उसके बाद तो जगजीत सिंह की ग़ज़लों के साथ ही जैसे बड़ी हुई. उन दिनों " सरकती जाये है रुख से नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता...." मेरी पसंदीदा ग़ज़ल होती थी.
कुछ और बड़ी हुई आकाशवाणी के युववाणी विभाग से जुड़ी तो मेरी हर ड्यूटी पर जगजीत जी की एक ग़ज़ल ज़रूर बजती थी. मेरे साथी कम्पेयरों ने कहना शुरु कर दिया था कि " आज जगजीत सिंह की ग़ज़ल बज रही थी तो हम जान गये कि आपकी ड्यूटी होगी, सो मिलने आ गये".
सन २००९ में जगजीत जी सतना के यूनिवर्सल केबिल्स लिमिटेड द्वारा आयोजित- " एक शाम-जगजीत सिंह के नाम" कार्यक्रम में आये थे. तब लगा जैसे बरसों पुरानी साध पूरी हो गयी हो. पूरे दिन शाम होने का इन्तज़ार करते रहे. मंच पर जगजीत जी आये तो आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि हम उन्हें देख रहे हैं...उन्होंने गाना शुरु किया तो कानों पर से विश्वास उठ गया कि वे सामने से उन्हें सुन रहे हैं. कार्यक्रम नौ बजे शुरु हुआ. कब बारह बज गये पता ही नहीं चला. खुद जगजीत जी ने हाथ जोड़ के आज्ञा मांगी तो लगा कि अरे! अभी तो प्रोग्राम शुरु हुआ था!
पता नहीं कितने दिनों तक जगजीत जी की पुरकशिश आवाज़ का खुमार दिल-दिमाग़ पर छाया रहा. उनकी आवाज़ है ही ऐसी, जो बहुत जल्दी लोगों से रिश्ता क़ायम कर लेती है. एक बार सुन लेने के बाद इस आवाज़ को भुला पाना मुश्किल है.
जगजीत सिंह जी अब हमारे बीच नहीं हैं, इस बात पर भरोसा करने को जी नहीं चाहता, लेकिन सुबह से लेकर अभी तक प्रसारित हो रहे समाचार बार-बार इस खबर की पुष्टि कर देते हैं, जैसे कह रहे हों कि अब भरोसा कर लो.
जगजीत जी अब नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज़ हमेशा ज़िन्दा रहेगी हमारे दिलों में, हमारे सुरों में.
अश्रुपूरित श्रद्धान्जलि.
कुछ भी कहना मुश्किल हो रहा है....सबकी अपनी अपनी यादें जुड़ी हुई हैं...
जवाब देंहटाएंआज न तो कुछ भी लिख पाने के लिये शब्द साथ दे रहे हैं और न ज़ह्न ये मानने को तैयार है कि ये ख़बर सच है
जवाब देंहटाएंलेकिन
हमारे मानने या न मानने से क्या होता है ,,जाने वाला तो चला ही गया
जगजीत जी का जाना संगीत की दुनिया के साथ साथ
हमारे देश की व्यक्तिगत क्षति है
विनम्र श्रद्धांजलि
बिछड़ा वो इस अदा से कि रूत ही बदल गयी,,,एक शख्स सारे शहर को विरान कर गया,,,,जगजीत सिंह जी के बारे मे बोलने पर मेरी छोटी जबान के पास अल्फाज नहीं,,वक्त थम-सा गया है..!...पर आपकी कलम ने भावनाओं को साकार रूप दिया है !
जवाब देंहटाएंश्रधांजलि
मन बड़ा व्यथित है ... नमन ... विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंजग को जीत कहां तुम चले गए...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
अन्दर तक प्रभावित किया है, विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंकल 12/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
मखमली आवाज के इस जादूगर को विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंअब तो उनकी आवाज़ ही उनकी पहचान रहेगी ।
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रधांजलि ।
उनकी आवाज़ रहेगी हमेशा....
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रधांजलि ।
जवाब देंहटाएंराख के ढेर में शोला है न चिंगारी है .... एक पूरा दिन , पूरा दिल जगजीत जी के नाम श्रद्धांजली फूलों के साथ
जवाब देंहटाएंहम उन्हें गुनगुनाते रहें यही सच्ची श्रदांजलि है।
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएं--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
पनघट उदास, झील का मंज़र उदास है
जवाब देंहटाएंतुम क्या गए कि गांव का हर घर उदास है.
मेरी भी अश्रुपूरित श्रद्धान्जलि.
जवाब देंहटाएंउनकी आवाज़ उन्हें हमेशा जिंदा रक्खेगी.ऐसे लोग कभी मरते नहीं.
जवाब देंहटाएंगजल को आम आदमी तक पहुंचाने वाले जगजीत सिंह को श्रध्दासुमन....
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रधांजलि !
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंghazal samarat jaggit sing ka nidha suron ke is samarajya ki apurniya kshti hai..unke ghazalein hamesha hamare sath rahengi..hame unki yaad dilati rahengi..binamra shradhanjali aise sur samrat ko
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि.......
जवाब देंहटाएंगज़ल सम्राट जगजीत सिंह जी को हार्दिक श्रद्धांजलि|
जवाब देंहटाएंजगजीत जी ने गजल को आम लोगों के बीच बड़ी ही खुसुरती से सम्मान दिलाने का काम किया, उन्हें गजल के साथ गीत और भजन पर अच्छा अधिकार था.
जवाब देंहटाएंमिर्ज़ा ग़ालिब की रचनाओं को अपनी आवाज़ देकर उन्होंने अमर बना दिया.
उनके ही स्वरों में..
चिट्ठी न कोई सन्देश..कहा तुम चले गए.
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि.
www.belovedlife-santosh.blogspot.com
कोई आहट, कोई हलचल हमें आवाज न दे, पढा । बहुत ही अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंएक युग मौन हो गया ... गज़ल का दौर जो उन्होंने संभाला हुवा था ... खत्म हो गया ... मौन श्रधांजलि है ...
जवाब देंहटाएं