शनिवार, 20 अप्रैल 2013

डायचे वेले, नारी और रचना जी...

12 दिसम्बर 2008 को में मैने अपना ब्लॉग , फ़ुरसतिया  जी की सलाह पर बनाया. तब ब्लॉग्स के बारे में बहुत कुछ जानती नहीं थी. जो टिप्पणियां आईं, उन्हीं के सहारे दूसरे ब्लॉग्स तक पहुंची. राह बनती गयी, और तमाम ब्लॉग परत दर परत खुलते गये, मेरी निगाह के सामने. रोज़ नये लोगों को पढने की इच्छा होती. उस वक्त "चिट्ठाजगत" अस्तित्व में था, सो नये बनने वाले चिट्ठों की खबर भी मिल जाती थी. ब्लॉग्स को पढने के क्रम में एक ब्लॉग बराबर मेरी नज़र में आ रहा था, वो था " नारी " ब्लॉग.
अलग-अलग जगहों पर रचना जी के तीखे कमेंट्स पढे. कई बार सही लगा उनका तीखापन, तो कई बार खीझ भी हुई. सारे पुरुषों को एक लाइन में खड़ा करना भी अच्छा नहीं लगा. कई बार उनकी टिप्पणी के विरोध में लिखा मैंने. या यूं कहूं, कि अपना नज़रिया रखा मैने. लगभग तीन साल पहले, जीमेल पर मैं अपनी हरी बत्ती जला के कुछ काम-धाम कर रही थी. अचानक रचना जी का चैट बॉक्स खुला, आते ही सीधा सवाल दागा उन्होंने-
" आप मुझसे नाराज़ क्यों रहती हैं? "
मैं थोड़ा अचकचाई. याद आया कि कुछ दिन पहले ही रचना जी के किसी कमेंट के लगभग विरोध में मैने कमेंट किया था :) खैर, उस दिन मैने अपनी बात साफ़ की, कि मैं जानबूझ कर उनका विरोध नहीं करती, बल्कि कोई बात अगर मुझे गलत लगती है, तो वो किसी ने भी कही हो, विरोध जता देती हूं, और भूल जाती हूं, बस्स. उस दिन थोड़ी देर तक बात हुई. उसी दिन रचना जी ने कहा-
"मैं चाहती हूं, कि आप "नारी" ब्लॉग में शामिल हों. क्या आप शामिल होना चाहेंगीं? मैं सदस्यता के लिये इन्विटेशन भेज रही हूं."
और मैं भी महिलाओं के इस अनूठे ब्लॉग की सदस्या हो गयी.
बाद में भी ऐसे कई मौके आये, जब मेरी रचना जी के साथ सहमति/असहमति बनती रही. पिछले दिनों अपनी भांजी की अस्वस्थता के चलते मैं परेशान थी.आर.अनुराधा से सम्पर्क करना चाहती थी. एक मित्र ने बताया कि आर.अनुराधा , रचना जी की मित्र हैं. मैने तुरन्त रचना जी को मेल किया. अगले दिन ही रचना जी ने मुझे आर.अनुराधा का नम्बर मेल किया. अपना नम्बर भी दिया और मुम्बई के कई वरिष्ठ चिकित्सकों के नम्बर भी दिये, कि अगर मुझे जरूरत पड़े, तो मैं सम्पर्क कर लूं. 
मेल के इस आदान-प्रदान के पहले मेरी रचना जी से केवल ब्लॉग को लेकर ही बातचीत होती रही है. व्यक्तिगत बातचीत का ये पहला मौका था. आनन-फानन उनके द्वारा की गयी मदद ने मेरे सामने उनका एक दूसरा ही रूप पेश किया. उन्होंने न केवल हौसला बढाने वाले मेल किये, बल्कि फोन करके भी दो-तीन बार मेरी भांजी का हाल-चाल पूछा. 
इस घटना का ज़िक्र करने के पीछे मेरा मक़सद केवल इतना है, कि जिस महिला को हम केवल तेज़-तर्रार, विरोधी खेमे की, केवल नारीवादी महिला के रूप में जानते  हैं, उसका एक रूप ये भी है. रचना जी के व्यक्तित्व की चर्चा करने के पीछे मेरा मक़सद वोट बटोरने का नहीं है.  एक और रूप है उनका, दृढनिश्चयी होने का. कितने ही नाम हैं इस ब्लॉग-जगत में, जो सिर्फ़ और सिर्फ़ रचना जी का विरोध करना जानते हैं. उनके बारे में क्या कुछ नहीं लिखा इन मानुभावों ने? आप सब जानते हैं उन लोगों को, सो मुझे नाम लेने की ज़रूरत नहीं है. ऐसे लोगों के बीच उनका दृढता के साथ खड़ा रहना, मुक़ाबला करना काबिलेतारीफ़ है. वरना तमाम महिलाएं तो अपने नारीत्व को समेटे, उन पोस्टों की तरफ़ से जान के भी अनजान ही बनी रहना चाहती हैं, जहां रचना जी के लिये खुल्लमखुल्ला अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल हुआ होता है. उस जगह पर रचना जी अकेले मोर्चा ले रही होती हैं.


जर्मनी संस्था- " डायचे-वेले" ने सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग ( हिंदी) श्रेणी में " नारी ब्लॉग को नामांकित किया है. यहां मैं इस बहस में पड़े बिना कि "नारी" की भाषा परिष्कृत नहीं है, या नारी पर रचना जी का एकाधिकार है, या "नारी" सर्वश्रेष्ठ कहलाने लायक नहीं, "नारी ब्लॉग" को बस एक आवाज़ कहना चाहूंगी. "नारी" ब्लॉग ने हमेशा महिलाओं के हित में आवाज़ उठाई है. महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति सचेत किया है. हां, इस ब्लॉग को इसलिये भी वोट देना चाहूंगी, कि ये महिलाओं का ब्लॉग है, और मैं चाहूंगी कि एक महिला ब्लॉगर इस सम्मान की हक़दार बने.
तो मेरी आप सबसे अपील है, कि अगर आप महिलाओं के उत्थान के पक्षधर हैं, उन्हें बराबरी का दर्ज़ा देने की बात करते हैं, उनका सम्मान करते हैं, तो अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर " नारी" को वोट देकर उसे इस दौड़ में आगे रक्खें. आभार. नीचे दिये गये लिंक पर जा के आप नारी को वोट कर सकते हैं. इसके अलावा आप अपने फेसबुक अकाउंट और ब्लॉग-यूआरएल के ज़रिये भी वोटिंग का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं. एक बार फिर आभार आप सबका.

https://thebobs.com/english/category/2013/best-blog-hindi-2013/



42 टिप्‍पणियां:

  1. रचना जी से मेरे कई बार मतभेद हुए और बहस भी हुई.. लेकिन उनके अंदर की 'नारी' को मैंने भी व्यक्तिगत रूप से महसूस किया है.. जब मेरा ट्रांसफर गुजरात में हुआ तो मेरी बेटी दसवीं में थी और बोर्ड के बीच में मेरा ट्रांसफर उसकी पढाई के लिए बहुत बड़ा झटका था.. रचना जी को जब यह पता चला तो उन्होंने स्वयं यह पेशकश की कि मैं अपनी बेटी को उनके पास छोड़ दूं और बेफिक्र होकर गुजरात चला जाऊं..
    इसके पहले हम एक ब्लोगर के रूप में ही एक दूसरे को जानते थे, फोन पर कार्यालयीन बातें भी हुईं थीं उनसे, लेकिन मिले कभी न थे.. उनकी यह पेशकश मुझे अंदर तक प्रभावित कर गयी.. एक तेज-तर्रार ब्लोगर के रूप में कुख्यात नारी का यह ममतामयी रूप मेरे लिए अविस्मरणीय था..
    लोग चाहे कुछ भी कहें, मैं व्यक्तिगत रूप से उनका बहुत सम्मान करता हूँ!!

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    1. मैं भी रचना जी के कोमल रूप से परिचित हो चुकी हूं.
      आभारी हूं सलिल जी.

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  2. MAA, BAHAN, BETI, DADI, BAHU, SABHI RISHTE YAHAN TAK PATNI BHI NAARI HAIN SAB KA SAMMAN ZARURU HAI....
    YATRA NARYAST PUJYANTE
    RAMANTE TATRA DEWATAH....

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  3. बधाई एक अच्छी अपील के लिए !

    अपने अख्खड़पन और कसैले स्वाभाव की वज़ह से रचना की हार की संभावनाएं अधिक हैं मगर उन जैसों का होना यहाँ बेहद आवश्यक है !

    मैंने उनके धुर विरोधियों से भी अपील की है कि वे खुले मन के साथ विचार करते हुए नारी को ही वोट दें !

    इस अड़ियल लड़की का होना ही, तमाम लड़कियों लिए राहत का आधार है !

    हार हो या जीत, रचना का आत्मविश्वास सुरक्षित रहेगा , इसका मुझे विश्वास है !

    शुभकामनायें "नारी" को !

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    1. इस अड़ियल लड़की का होना ही, तमाम लड़कियों लिए राहत का आधार है !
      एकदम सच्ची बात.
      शुक्रिया सतीश जी.

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  4. मतभेदों के बावजूद मैं उन्हें पसंद करती हूँ इज्ज़त भी !

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  5. There is another catogary of best person to be followed and Rachana ji's blog does not belong to that...her blog is nominated under best blog category-so other considerations like her persona or being benevolent etc are irrelevant here.

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    1. डॉक्टर साब, उस कैटेगरी की चर्चा यहां हो भी नहीं रही. मुझे मालूम है, नारी सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग के लिये नामांकित है, मैने पोस्ट में ज़िक्र भी किया है कि रचना जी की उदारता का ज़िक्र मैने वोट बटोरने के लिये नहीं किया है. ये नारियों की आवाज़ को बुलन्द करने वाला ब्लॉग है, सो हम सब नारियों की तो कम से कम जिम्मेदारी है ही अपील करने की. हां, आप वोट करें, न करें ये फ़ैसला लेने के लिये स्वतंत्र हैं ही :)

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  6. आपकी इस पोस्ट ने मुझे बहुत पहले कही हुई एक बात याद दिला दी दोबारा , हम सब बेशक कितना भी लडें झगडें , आरोप प्रत्यारोप लगाएं , हानि से लेकर मानहानि तक की बात करें , आरोप प्रत्यारोपों के दौर में बहुत बार अशालीन भी हो जाएं , और शब्दों वाक्यों पोस्टों लेखनी में बेशक बहुत निष्ठुर से लगें , मगर ये भी उतना ही सच है कि हम समाज के भले लोग हैं ,बोले तो बेसिकली अच्छे लोग हैं :) । हमारी , आपकी सबकी ये अच्छाई बनी रहे , और लेखन पठन यूं ही चलता रहे । विचारों के मतभेद बहुत बार होने के बावजूद मनभेद नहीं होना चाहिए यही प्रयास रहता है । हम वोट कर आए हैं और जब भी फ़ुर्सत होती है कर आते हैं बेशक हर बार एक ही ब्लॉग को न सही । मेरी तरफ़ से नारी ब्लॉग को बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

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    1. जब बात अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की हो, तो निश्चित रूप से हम सब को मतभेद भुला देने चाहिये :) मनभेद तो होना ही नहीं चाहिये, सच्ची. मैं तो कहती हूं कि हिंदी के जितने भी ब्लॉग नॉमिनेट हुए हैं, हमें उन सबको वोट करना चाहिये.

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  7. बढ़िया है , जिद्दी भी हो , मान लिया . भोट भी डाला,

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  8. अच्छा हुआ ये पोस्ट लिखी तुमने और हमें भी कुछ कहने का मौक़ा दिया .

    मित्रों से भी रचना जी की एक बात की मैं बहुत तारीफ़ करती आयी हूँ .आज यहाँ लिख रही हूँ ,चाहे कितनी ही कड़वाहटें आ जाएँ, कितने ही कठोर शब्दों में कमेन्ट का आदान-प्रदान हुआ हो. मैंने देखा है, रचना जी कभी भी मन में उस व्यक्ति के प्रति दुर्भाव नहीं रखतीं. उसकी कोई पोस्ट अच्छी लगी तो खुले मन से तारीफ़ करती हैं ,या उस पोस्ट पर अपने विचार रखने से नहीं कतरातीं . हममें से कई हैं जो ऐसी सिचुएशन में कभी उस ब्लॉग का रुख भी न करें.
    सही मायने में 'मतभेद हो पर मनभेद न हो' का पालन करते मैंने रचना जी को ही पाया है.
    मेरे लिए तो वे ब्लॉगजगत की iron lady हैं.

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  9. किसी को भी किसी एक बात से परखना नहीं चाहिए ... इंसान को पूर्ण रूप से देखे समझे बिना दृष्टिकोण नहीं बनाना चाहिए ..

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  10. हम तो कर ही रहे हैं वोट और हमें ये जानने की जरूरत ही नहीं कि कौन कैसा है क्या कह रहा है बल्कि मैं तो सोचती हूँ मेरा ज़मीर किसे मान रहा है सही कौन सा ब्लोग ऐसा है जो सही दिशा मे सही कार्य कर रहा है और निसंदेह नारी ब्लोग एक ऐसा ही ब्लोग है जिसे हम सब सबसे ऊपर देखना चाहते हैं और जहाँ तक रचना जी की बात है वो तो हैं ही नर्मदिल इंसान मगर यहाँ के लोग उनका सिर्फ़ एक रूप जानते हैं इसलिये उनके विरुद्ध बोलते हैं किसी के लिये भी कुछ कहने से पहले उसे परखना जरूरी होता है। अच्छा किया वन्दना जी जो आपने इस तरह ये बात रखी।

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  11. मुझे 'नारी' के लिए वोटिंग की अपील करने पर बहुत कुछ सुनने को मिला...यहां तक एक सज्जन मेरी पोस्ट पर आकर टिप्पणी कर गए कि मेरा ऐसा करने से मेरी ब्लॉग जगत में बहुत खिल्ली उड़ रही है...लेकिन मैंने जो स्टैंड लिया,उस पर दृढ़ता से कायम हूं...जहां तक वोटिंग की बात है तो वहां व्यक्ति विशेष से बड़ी बात मुद्दा विशेष की है...यहां ज़ुबानी खर्च से ज़्यादा मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने की ज़रूरत है...भारत जैसे पुरुष प्रधान समाज में नारी के हित के लिए हमेशा कोई आवाज़ बुलंद करता है तो उसकी आवाज़ अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी सुनी जानी चाहिए...

    जहां तक रचना जी कैसी इंसान है तो बस इतना ही कहूंगा कि मैं पिछले दिनों अस्वस्थ रहा तो उन्होंने कई बार मुझसे मेरा हाल जाना...सतीश भाई से भी मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछा...ऐसा इस सबके बावजूद कि अतीत में मेरे कई मुद्दों पर घोर मतभेद रहे...ये मुद्दे पर निर्भर करता है...हो सकता है कि आगे भी कुछ मुद्दों पर मेरी राय रचना जी से अलग रहे और लोकतंत्र में ऐसा होना भी चाहिए...लेकिन इन सबके बावजूद आपसी कड़वाहट के लिए कहीं कोई जगह नहीं है....

    'नारी' के समर्थन के लिए नारी वर्ग से वंदना जी आपका पहली अपील करना अच्छा लगा...

    जय हिंद...

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    1. सही कह रहे हैं खुशदीप जी. रचना जी की व्यक्तित्व चर्चा मेरा मुद्दा नहीं था. वो तो मेरी पोस्ट है :) मुद्दा तो बस नीचे बोल्ड में लिखी गयी अपील है :) आभार आपका.

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  12. रचना जी की तेज तर्रारी तो अपने ब्लॉगिंग प्रवेश पर ही भोग ली थी:) सिर मुंडाते ही ओले समान.:) मुद्दे पर मतभेद भी हुए लेकिन अपने अपने अभियान को क्रोस करती बातों पर.इसलिए ऐसी तनातनी भी स्वभाविक चर्चा होती है.

    हालांकि रचना जी के कोमल स्वभाव को सीधे महसुस करने का कभी काम नहीं पडा. लेकिन टिप्पणी,मेल,चेट पर ब्ळॉगिंग की सामन्य बातचित से ही मुझे वे बहुत अच्छी इंसान और भद्र महिला लगी. एक गम्भीर और दृढ निश्चय नारी. सीधे शब्दों में बिना किसी लिहाज मलाल के अपने विचार प्रक्षेपित करने वाली. ऐसी दृढता आवश्यक भी है जब मामला नारी सम्मान अभियान का हो. तेज तर्रार इसलिए कि वह अपने अभियान के साथ पूर्ण ईमानदार और समर्पित है.
    क्योंकि बात 'नारी अभियान'की है इसलिए खुशदीप जी की इस बात से सहमत कि "वोटिंग की बात है तो वहां व्यक्ति विशेष से बड़ी बात मुद्दा विशेष की है...यहां ज़ुबानी खर्च से ज़्यादा मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने की ज़रूरत है...भारत जैसे पुरुष प्रधान समाज में नारी के हित के लिए हमेशा कोई आवाज़ बुलंद करता है तो उसकी आवाज़ अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी सुनी जानी चाहिए" हालांकि 'डायचे वेले' के पुरस्कारों में मेरी अपनी कोई आस्था नहीं लेकिन यदि यह अंतर्राष्ट्रीय पहचान के लिए है तो भारत की ओर से "नारी" ब्लॉग ही सर्वाधिक उपयुक्त है.

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  13. :) मैं तो रचना मैम और नारी की फ़ैन हूँ, शुरु से ही… वोट करना तो बनता ही है… मैं पहले बस ऑडियन्स की तरह ये सब ऑब्सर्व ही करती थी, बड़ों के बीच कौन बोले… :p धीरे धीरे बन रही हूँ इस परिवार की सदस्या… वैसे same pinch, अनूप सर का ब्लॉग देखकर ही मुझमें भी ब्लॉगिन्ग का कीड़ा जगा था।
    बड़ी अच्छी बातें कहीं आपने… धन्यवाद।

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  14. अवश्य वंदना जी इस अभियान में हिस्सा बनूँगी और दूसरों को भी कहूँगी कि नारी को वोट दें.

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  15. वंदना मैंने रचना जी को तुम से जाना है या उन के ब्लॉग से जो बहुत कम है शायद
    लेकिन किसी को समझने के लिये इतना काफ़ी नहीं है
    पर मैं इतना ज़रूर जानती हूँ कि किसी की हिमायत में ,,या किसी के हित के लिये वही खड़ा होता है या आगे बढ़ता है वो साफ़ मन का और सब के लिये अच्छा सोचने वाला होता है

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  16. वंदना नारी ब्लॉग को एक एक्टिविस्ट माना गया हैं ये पहला पढाव हैं
    अब वोटिंग बहुत सी महिला कर ही नहीं पाती हैं सही तरह से इस लिये वोट से जीतना संभव हैं ही नहीं हम सब के लिये . वोट करना तकनीक हैं , अगर किसी ने ८ ब्लॉग बना रखे हैं और एक फेसबुक और एक ट्विटर तो उसके पास १० वोट हुए यानि वो दिन मे किसी भी ब्लॉग के १% वोट बढ़ा सकता हैं अब अगर किसी नॉमिनेटेड ब्लॉग के पास ऐसे १ ० सदस्य हो तो वो दिन में १० प्रतिशत वोट पा सकता हैं
    १ - १ वोट से कुछ नहीं होता क्युकी कोई इस ब्लॉग पर देगा कोई दुसरे पर तो वोट न्यूट्रल हो जाएगा और प्रतिशत वही की वही रहती हैं

    ख़ैर आप ने अपील कर दी बस इसी तरह वोट भी मिलेगे और उससे भी बड़ी बात पाठक इस ब्लॉग को ज्यादा पढ़ रहे हैं सबसे ज्यादा पाठक इंडिया के बाद रशा से आते हैं

    आप की भांजी केवल आप की नहीं हैं मेरी भी हैं और मैने जो किया वो अपनी भांजी के लिये किया वैसे ही जैसे सलिल जी की बेटी को अपना मानते हुए अपने पास रखने की बात कहीं

    अपनी बेटी को कहीं छोड़ना क्या आसान होता हैं , कम से कम मै उसको एक सुरक्षा और पढने का माहोल तो दे ही सकती थी अपनी बेटी के लिये क्या हम और आप ये नहीं करेगे

    रश्मि रविजा के ब्लॉग पर कमेन्ट ज्यादा दे जाती हूँ वो भी जानती हैं की मेरी मंशा बस नारी के लिये उचित स्थान हैं और कुछ नहीं , बाकी कमेन्ट से बहस हो मै ये माहोल चाहती हूँ क्युकी उससे हम दुसरे की बात का रुख दे सकते और अपनी बात से उसकी बात का रुख मोड़ भी सकते हैं बस "दम " किसी की बात में हो ये जरुरी हैं इस मे मनभेद या मतभेद जैसा मुझे तो कभी लगता नहीं और मुझ में कोई ईगो नहीं हैं की दुबारा ना पढू

    इस उम्र में सतीश जी लड़की कह रहे हैं कॉम्पलिमेंट मान रही हूँ , उम्र में बड़े हैं इस लिये :)


    बाकी सब जिन्होने कमेन्ट दिया हैं

    अपना पासवर्ड मुझे दे दे ठाकुर ,फिर देख नारी ब्लॉग को टॉप पर ला कर दिखा दूँ वोटिंग करके :):):)

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  17. रचना जी, अधिकांश महिला ब्लॉगर्स के कम से कम दो ब्लॉग और एक फेसबुक एकाउंट हो है ही, तो ऐसे में तीन वोट हुए एक महिला के, और अगर पांच महिलायें भी एक दिन में वोट करें, तो पन्द्रह वोट हुए. फिर से अपील है, कि रचना जी के बताये अनुसार वोटिंग पद्धति अपनायें.

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  18. गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष की प्रति मेरी अडिग निष्‍ठा बहुतों को दिल दुखाती है .. पर मुझे मालूम है कि मुझे अपने मार्ग पर चलना है .. हर स्थिति में सबको खुश रख पाना आसान नहीं .. एक महिला होने के नाते मैने रचना जी से हमेशा प्रोत्‍साहन ही पाया है ... चैट पर होने वाली बातों से भी उन्‍हें बिल्‍कुल सामान्‍य देखा है .. इसलिए व्‍यक्तिगत तौर पर तो मुझे उनसे कोई शिकायत हो ही नहीं सकती .. आपके इस पोस्‍ट से खुशी ही हुई है ....

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