लिखने और न लिखने के बीच का अन्तराल जब लम्बा हो जाता है, तो कुछ भी लिखने की इच्छा ही खत्म हो जाती है.
कम से कम मेरे साथ ऐसा ही होता है. ढाई महीने से कुछ भी नहीं लिखा, तो अब लगता है , कि मेरे पास कुछ लिखने के लिये है ही नहीं. आज सोचा कुछ लिखूं, तो पता नहीं कब से बैठी हूं, की-बोर्ड पर हाथ धरे :(
आज मित्र-दिवस है, कई ब्लॉग्स पर इस दिन से जुड़ी अच्छी पोस्टें पढने को मिली. खुद भी सोचा, इसी पर लिखा जाये. लेकिन न! दिमाग़ ने मना कर दिया :(
बचपन के तमाम दोस्तों के चेहरे याद आये........लेकिन फिर सब गड्ड-मड्ड हो गये.
कॉलेज के तमाम दोस्त याद आये.... लेकिन कोई खास वाक़या याद नहीं आया :(
सामाजिक-राजनैतिक खबरें उछल-उछल के अपना चेहरा दिखाने लगीं, कि लो , मुझ पर लिखो, लेकिन दिमाग़ ने इन्कार में ही हिलते रहने की ठान ली थी, सो लगा कि इन सब मुद्दों पर बहुत लिखा जा चुका है, अब हम क्या नया लिख लेंगे?
विधु बहुत देर से ताड़ रही थी, कि मैं कम्प्यूटर भी घेरे हूं, और लिख भी नहीं रही, सो मेरी डायरी उठा लाई. बोली-" लो कोई कहानी ही टाइप कर के सेव कर दो" :)
डायरी उलट-पलट के देखी. कुछ टाइप करने का मन नहीं हुआ.
ऐसी उदासीनता तो कभी छाई ही नहीं मुझ पर!!
व्यस्तता का रोना नहीं रोया जा सकता. सब व्यस्त हैं, लेकिन लिख भी रहे हैं. ये तो मेरी अपनी ही कमी है :(
खैर.........
लिखती हूं जल्दी ही कोई संस्मरण :) :)
फिलहाल विदा, तब तक के लिये, जब तक कुछ लिखने का मन न बन जाये.
मित्रता-दिवस की अनंत शुभकामनाएं.
आपको भी मित्रता दिवस की शुभकामनायें। जो लिखा उत्तम लिखा ऐसे ही लिखती रहें।
जवाब देंहटाएंfirst one Welcome back Vandana didi
जवाब देंहटाएंnice one Excellent piece of writing...
जवाब देंहटाएंHappy Friendship Day
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बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट......मित्रता दिवस की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंलिखने को हम भी तरस रहे हैं।
जवाब देंहटाएं:)) smile plzz ...और लिखिए ...आपकी लिखे की इंतजारी..एक नयी पोस्ट..
जवाब देंहटाएंPhirbhee likh hee diya! Aisa laga jaise samne baith ke baaten kar rahee ho!
जवाब देंहटाएंHappy friendship day!
देखा आपने सिर्फ की बोर्ड खटखटाया और कुछ न कुछ बात निकल कर आ गयी सामने.. यही होता है, आप लिखने का मन बना लें बस, लिखवाने वाला तो कोइ और है!! मित्रता दिवस पर शुभकामनाएं!!
जवाब देंहटाएं@लम्बा समय हुआ, कुछ लिखे हुए.
जवाब देंहटाएंलिखने और न लिखने के बीच का अन्तराल जब लम्बा हो जाता है, तो कुछ भी लिखने की इच्छा ही खत्म हो जाती है...
--सही कह रही हैं,यही हाल अपना भी है.आभार .
..मित्रता दिवस की शुभकामनायें।
आपने इतनी बड़ी बात लिख डाली। आज के दिन इससे अधिक ज़रूरत और ज़रूरी और कुछ नहीं है। सब तरफ़ मित्रता का लोप हो रहा है। उसमें अगर हम इसके प्रति वचनबद्ध हों, और इससे ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए।
जवाब देंहटाएंहैप्पी फ़्रेंडशिप डे।
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
जवाब देंहटाएंदोस्तों को आजमाते जाइए !
कमाल है आपको आज भी कोई दोस्त याद नहीं आया :-(
शुभकामनायें ! !
:)
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
अब जरा ज्यादा शिद्दत से दोस्तों को याद कीजिये दोस्त भी याद आएँगे और वाकिये भी. तब तक के लिए शुभरात्रि.
जवाब देंहटाएंआपको भी मित्रता दिवस की शुभकामनायें....सतत लेखन की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंतुम्हें भी मित्रता दिवस बहुत बहुत मुबारक हो
जवाब देंहटाएंकुछ ज़्यादा लंबा अंतराल नहीं हो गया वंदना ?
ये लो जी इत्ता तो लिख मारा . अरे दोस्तों का नाम नहीं याद आ रहा था तो क्या हुआ संस्मरण भी कहानी की तरह कपोल कल्पित होते है ऐसा मैंने कई जगह पढ़ा है . हा हा . मित्रता दिवस की शुभकामनाये .
जवाब देंहटाएंmeri bhi yahi sthiti ho jaati hai bahut jyada waqt jab gujar jaata hai tab blog tak dekhne nahi jaati aur sochti hoon ab nahi likhna ,vyastata kuchh is tarah sawar hai ki din bhar ke thakaan ke baad net par aane ko jee hi nahi karta ,magar na likhne ka faisla main le hi nahi sakti kyonki mujhe uske liye ye safar jaari rakhna hai jisne badi lagan se sneh se mere liye ye duniya banayi jahan meri kalam ko raah mili chalne ko ,ye usi ki koshish hai jise main bekar nahi kar sakti ,usne hi likhne ka safar dobara shuru kiya nahi to bees saal baad likhne ki himmat mujhme nahi rahi ,aaj jo meri pahchan hai sabke ke beech ye bhi uski vajah se hai ,nahi to mere vash ki baat ye nahi rahi ,isliye na likhne ke khyaal ko main mita deti hoon kyonki main apne liye nahi uske liye likhti hoon ,ye haq mera nahi hai mujhe to likhna hi hai man ko bhi taiyar karna hota is vaste jisse uski mehnat rang laye aur use dukh na ho .jaise hi koi chhutti padegi do teen din ki tab kuchh likhne ke liye man bana lena .bahana nahi sachchai hai jeev to bhi ho .ye jo likha hai ye bhi kaam ka hai kyonki isme bhi kaiyo ke haal byaan ho gaye .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंपहले काम फिर ब्लॉगिंग!
शुभकामनाएँ!
मित्रता दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनाये .
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
जवाब देंहटाएंहम सभी कभी न कभी ऐसी स्थिति से गुज़रते रहते हैं...सही कहा आपने, काम की व्यस्तता का बहाना भी नहीं चलता, बस मिज़ाज ही कुछ अजीब सा बना रहता है...आपने अपने दिल की बात को बहुत अच्छे शब्दों में पेश किया है... शुभकामनाएं
मित्र दिवस की बधाई.
आपने बिलकुल सही कहा .....कुछ दिन लिखने की आदत छूट जाये ....तो दुबारा शुरू करना थोडा सा कठिन होता है .....फिर भी आपने जो भी लिखा वो ....बहुत अच्छा लिखा .....आशा है की आगे भी इसी तरह आपके ब्लॉग से अच्छी पोस्ट पढ़ने का मौका प्राप्त होता रहेगा |
जवाब देंहटाएंये चुपके-चुपके किसे श्रेय दिया जा रहा है ज्योति?
जवाब देंहटाएंuse jo ye sawal utha raha hai ,
जवाब देंहटाएंuse jisne kavyaanjali racha
use jo guru v salaahkaar bhi hai
use jo jaankar bhi anjaan ban raha hai .use jise kaho likhne ka man nahi ,to kahti hai ki yahan aao tumahare man ko main thik karti hoon ,phir dharadhar kalam ghabra ke chal uthti hai aur ek rachna ke saath hajri deti hai ,tumahare saath ki khatti -mithi anginat yaade hai likhne baaithi to koi mod bhi nahi aayega .shadi me tumahare shamil hui thi ,kitne utad-chadhao dekhe hai hamne ,mitti nahi koi bhi baat .barso gujar gaye ,maike ke sab rishte jab chhoote tab ye jude .wo to kachche hi dhare rah gaye par panpe yahan .ek family member ki tarah hamne jiya jindagi .kuchh nadani hui jise tumne apne anubhav se sudhara .din duniya ki khabar se main anjaan hi rahi ,dheere -2 is duniya ke chaln ko bhi samjha .mauka ,post aur title sabhi haq me rahe tabhi tippani apni baat me tabdil ho gayi .asha hai ab naam aur jawab dono mil gaye hogne .
वंदना दुबे जी आपको भी बहुत बहुत शुभकामना !
जवाब देंहटाएंआप कोई वादा किसी पोस्ट पर कर आयी हैं और भूल गयी हैं :)
लो जी आपने जब कुछ नहीं लिखा तो लोग इतना कुछ कह गए। जब लिखेंगी तो क्या होगा। चलिए हमें भी इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएं०- भूली नहीं हूं अरविंद जी, पहुंचती हूं जल्दी ही वादा पूरा करने :)
जवाब देंहटाएं०- चने के झाड़ पर चढा दिया तुमने तो ज्योति. हमारे-तुम्हारे बहुत से किस्से हैं, लिखूंगी कभी फ़ुरसत से.
apne to mere bhi mn ki hi bat kah di
जवाब देंहटाएंहम्म तो ये 'राइटर्स ब्लॉक' है....बड़े बड़े राइटर्स को होता है भाई...यानि कि तूफ़ान (शब्दों के तूफ़ान) के पहले की खामोशी...चलो ख़ामोशी तो झेल ली...अब तूफानी शब्दों का लुत्फ़ लेंगे..
जवाब देंहटाएंAll the Best
Vandna is the Best
{ab tuk mil gaya so likh diya..waise Best to ho hi..:)}
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंvandnaa ji aap ki kalam ki shakti to naa likh kar bhi aapne zahir kar di ab aap kuch likhe taaki muj jaise nausikhiyo ko bhi moka mil sake kuch sikhne ka( sunil patidar)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सारगर्भित
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
tumhe bhi is pavan parv ki badhai .
जवाब देंहटाएंआपको भी मित्रता दिवस की शुभकामनायें ... न लिखते हुवे भी आपका लिखने का अंदाज़ अच्छा लगा ...
जवाब देंहटाएंSwatantrata Diwas kee anek shubh kamnayen!
जवाब देंहटाएंमित्रता दिवस तो पार हो गया अब स्वतंत्रता दिवस भी न पार कर दें ....
जवाब देंहटाएंकोई कविता कोई नज़्म ही सही ...
:))
वैसे ये भी कम नहीं .....
n likhne ka bahana kaha hota hai , mann ki sthiti hoti hai aur sab bekar lagta hai... hai n ?
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति के साथ शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
इंतजार है....
जवाब देंहटाएंस्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।
bahut dino baad aapka lekh pdhne ko mila .achcha laga...
जवाब देंहटाएंरचना गर्भ की तरह अपना समय लेती ही हैं. चिंता न करे. जो अपने आप उतरे वही सत्य, शिव और सुन्दर हैं.
जवाब देंहटाएंvichar to hamesha kulbulate hain aur shabd bhi hamesha panapte hi hain :)
जवाब देंहटाएंsach ye naa likhne ka bahana :)
कभी कभी ऐसा ही होता है ! हमें आपकी अगली पोस्ट का बेसब्री से इंतज़ार है !
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ !
देर से सही: शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई पोस्ट...... शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंaapke apne baarein mai itne honest thoughts dekhkar aur padkar achcha laga. Kabhi kabhi aisa hota hai ki bnahut din na likhne ke baad dimaag khaali ho jaatahai lekin likhne ki chaht bahut badi hui hoti hai :)
जवाब देंहटाएंI will keep reading your blog.
Regards, Shaifali
guptashaifali.blogspot.com