गुरुवार, 4 नवंबर 2010

एक बेमानी सी पोस्ट....

कई दिनों से मन बनाए हूँ, कि दीवाली पर कुछ ज़रूर लिखूंगी. कम से कम एक संस्मरण का तो हक़ बनता है, छपने का , लेकिन........ धरी रह गई पूरी सोच, और लिखने की तैयारी . हमारे पेंटर बाबू ने ३१ अक्टूबर से काम शुरू किया, और तीन दिन में वे केवल बाहरी खिडकियों के पल्ले ही पेंट कर सके . कल यानि तीन नवम्बर से मेरी छुट्टियां शुरू हुईं, और मेरी रफ़्तार ने भी पेंटर बाबू से होड़ लेते हुए, दो दिन में एक कमरा साफ़ करने का रिकॉर्ड बनाया. साफ़ करने के लिए बहुत कुछ नहीं था, लेकिन तब भी मैंने पूरा समय लिया, और घर के अन्य सदस्यों को ये कहने पर मजबूर कर दिया, कि देखो बेचारी कितना काम कर रही है
. तब तक धूल से अटी, अन्दर-बाहर होती रही, जब तक अम्मा और उमेश जी ने ये नहीं कह दिया, कि जाओ अब नहा-धो लो, और आराम करो. थक गई होगी .
बाहर काम कर रहे पेंटरों के बीच बेवजह
घूमती रही, और उनके काम में नुक्स निकालती रही. चार बजे के आस-पास लगा कि अब तो कोई काम जैसा काम रहा ही नहीं, अब कैसे व्यस्त दिखाई दें? तभी बिजली के नन्हे-नन्हें बल्बों की झालरें लिए, इलैक्ट्रीशियन महोदय नमूदार हुए, और हमारी बांछें खिल गईं . व्यस्त होने का कारण मिल गया. हम यूं ही इलेक्ट्रिशियन पुष्पेन्द्र के साथ छत पर आ गए. एक घंटे तक उसे यहाँ-वहां की सलाह देते हुए, उसके काम में व्यवधान डालते रहे.

अम्मा की फोन पर तिवारी आंटी से बात हो रही थी, और वे कह रहीं थीं- " राजू ( उमेश जी) को तो टाइम ही नहीं मिलता, सारा काम तो हमारी वंदना ही करती है,वो चाहे घर का हो या बाहर का...... आज दिन भर से लगी है मजदूरों के साथ, हमारी तो बहू भी वही है और बेटा भी..... दिन भर की थकान कहाँ गायब हो गई, पता ही नहीं."
नीचे आये तो फिर याद आया कि आज तो कुछ लिखने का प्लान था..... लेकिन ये लिखना-लिखाना तो काम में शामिल नहीं है न, सो इरादा स्थगित कर दिया. लगा, शाम से नेट पर बैठ जाएंगे , तो पूरे दिन के किए हुए काम पर भी पानी फिर जाएगा .
फिर बाहर आ गये. गमलों पर जो पेंट हो रहा था, उसे देखते और बिन मांगी सलाह देते रहे. बगल की गली
में कुछ बच्चे फुटबॉल -फुटबॉल खेल रहे थे, उन्हें घुड़का, क्यों कि उनकी फुटबॉल बार बार हमारी बाउंड्री के अन्दर आ रही थी.
अब तक छह बज चुके थे, अन्दर से अम्मा कि आवाज़ आई- "वन्दना, चाय तो पी लो, फिर करना जो भी कर रही हो....." हम अन्दर की तरफ चले, भीतर से आवाज़ आ रही थी, अम्मा की फोन पर तिवारी आंटी से बात हो रही थी, और वे कह रहीं थीं-
" राजू ( उमेश जी) को तो टाइम ही नहीं मिलता, सारा काम तो हमारी वंदना ही करती है,
वो चाहे घर का हो या बाहर का...... आज दिन भर से लगी है मजदूरों के साथ, हमारी तो बहू भी वही है और बेटा भी..... "
दिन भर की थकान कहाँ गायब हो गई, पता ही नहीं.

50 टिप्‍पणियां:

  1. वंदना जी, बहुत मायने रखती है ये बेमानी सी पोस्ट...
    काम के प्रति इतना समर्पण...दूसरों के लिए भी प्रेरणा का आधार होता है...
    और सबसे खास बात...
    आज दिन भर से लगी है मजदूरों के साथ, हमारी तो बहू भी वही है और बेटा भी...
    अम्मा जी की ये बातें सुनकर सच मानिए आप पर गर्व होता है... तभी तो आप भी कह रही हैं-
    दिन भर की थकान कहाँ गायब हो गई, पता ही नहीं.

    आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  2. वन्दना ,
    सच अम्मा का २ जुमला तुम्हें बहुत दिनों तक ऊर्जा और स्फूर्ति प्रदान करता रहेगा
    तुम्हारी इस बेमानी पोस्ट ने जीवन के कुछ मूल्यों को भी मानी दे दिए हैं , जिसे तुम बेकार का काम कह रही हो वो सारे छोटे छोटे काम
    कितने महत्वपूर्ण होते हैं ये हम सभी जानते हैं,
    ये तुम्हारा बड़प्पन है
    यही निस्वार्थ भावना से किये गए काम दूसरों के मन में कब घर कर जाते हैं पता भी नहीं लगता
    बढ़िया पोस्ट ! बधाई

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  3. वंदना जी! सासु माँ का सर्टिफिकेट तो वैसे भी पुख़्ता होता है... लेकिन इसमें जो सचाई है उसका जवाब नहीं!! अगर ये पोस्ट बेमानी है तो बामानी क्या होगा!!

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  4. दीपावली के इस पावन पर्व पर ढेर सारी शुभकामनाएं

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  5. प्यार के दो मीठे बोल और स्नेह ही संबल है...



    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल 'समीर'

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  6. यही प्रेम तो बांधता है..... वंदनाजी....
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

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  7. ये बेमानी सी पोस्ट है?....फिर तो मेरी सारी पोस्ट ऐसी ही हुआ करती है...:(

    अब इतनी भी विनम्रता मत दिखाओ...अम्मा जी ने यूँ ही नहीं कह दिया...कि बहू भी यही है...बेटा भी यही...बुजुर्ग लोंग संतुष्ट रहें...ख़ुशी महसूस करें.....इस से अच्छी बात और क्या है...

    वैसे व्यस्त दिखने (रहने नहीं ) के ढेर सारे टिप्स दिए...आजमाउंगी कभी...:)

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  8. दीवाली की इस सार्थक तैयारी के बीच दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  9. " राजू ( उमेश जी) को तो टाइम ही नहीं मिलता, सारा काम तो हमारी वंदना ही करती है,वो चाहे घर का हो या बाहर का...... आज दिन भर से लगी है मजदूरों के साथ, हमारी तो बहू भी वही है और बेटा भी..... दिन भर की थकान कहाँ गायब हो गई, पता ही नहीं."

    ये आप दोनों की 'मिली भगत' बनी रहे. दीपावली की शुभकामनाएं.

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  10. यह बेमानी सी पोस्ट सार्थक लगी ! दीपावली के शुभ अवसर पर आपके लिए मंगल कामनाएँ !!

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  11. दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें किसी को तो काम करना ही पड़ता है । दिवाली है ही ऐसा पर्व ।
    दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें ।

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  12. प्रदूषण मुक्त दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

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  13. काम के प्रति समर्पण जीवन का स्वस्थ रूप है। दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  14. बहुत सुन्दर पोस्ट है!
    --
    प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
    आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।

    अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
    उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।

    आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
    दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

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  15. अगर यह पोस्ट बेमानी है तो यह काम आप बार-बार करें

    चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
    हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
    अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
    प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
    सादर,
    मनोज कुमार

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  16. इस ज्योति पर्व का उजास
    जगमगाता रहे आप में जीवन भर
    दीपमालिका की अनगिन पांती
    आलोकित करे पथ आपका पल पल
    मंगलमय कल्याणकारी हो आगामी वर्ष
    सुख समृद्धि शांति उल्लास की
    आशीष वृष्टि करे आप पर, आपके प्रियजनों पर

    आपको सपरिवार दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
    सादर
    डोरोथी.

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  17. ये पोस्ट तो बहुत मायने रखती है……………यही बोल तो सारी थकान काफ़ूर कर देते हैं।
    दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।

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  18. आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
    मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ

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  19. अम्मा जी के कुछ शब्द शायद हमेशा ही एक ऊर्जा का संचार अक्रते रहेंगे आप में .सच ही कहा है किसी ने "ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये ,औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय.
    वैसे अगर यह पोस्ट बेमानी है तो सार्थक कैसी होती है ?:(

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  20. बस तारीफ़ के दो शब्द सुन कर स्फूर्ति आ जाती है ...

    दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनायें

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  21. क्या कहूँ आपकी इस बेनामी पोस्ट पर.....एक नाम नहीं बाकि सब कुछ है .....!
    दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें

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  22. ये बातें भी तो एक पोस्ट बन गयी.....
    दीये की रौशनी, रंगोली की बहार, पटाखों की धूम और खुशियों की बहार , मुबारक हो आपको दीवाली का त्यौहार ...

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  23. मेरे भाई हिन्दुस्तान मे राजनीति के हमाम मे सब नंगे है।
    सारी पार्टियां चोर चोर मोसेरे भाई हैं ये पब्लिक को दिखाने के
    लिये एक दूसरे के विरोधी हैं। देश मे जितने भी संगठन या पार्टी है सबका मकसद सत्ता है

    बहिरा बांटे रेवड़ी अंधरा चीन्ह चीन्ह के देय

    ऐसी कौन सी पार्टी है या ऐसा कौन सा नेता है जो भ्रष्ट नही
    है आज कल तो भ्रष्टाचार की होड़ मे संत महत्मा भी कूद पड़े
    हैं। राजनीती मे धर्म और धर्म मे राजनीती घुस कर खिचड़ी बन
    गयी है। मेन मकसद है पैसा कैसे कमायें करोंड़ो रुपये फूंक कर गद्दी पायी अगले चुनाव मे लगाना है।

    अपने भारत मे गुलामी का सैकड़ों साल पुराना जींस फुल फॉम मे है हम और आप लोग ही उसे जिंन्दा रखे हुऐ है जैसे हर नेता हर पार्टी हर संगठन के पीछे भारी भीड़ है। नेता. पार्टी; संगठन; चाहे जो करवा दे गुलाम मरने मारने पर उतारु हो जाते हैं। जितना मंा बाप की इज्जत नही करते अपने बुजुर्गो का कहना नही मानते उससे ज्यादा नेताओं, पार्टी,संगठनो का कहना मानते है इनके कहने पर कुछ भी करने को तैयार है। हमारे पूर्वजो ने मुगलो फिर अंग्रेजों की गुलामी की आज हम नेता पार्टी संगठनो की गुलामी कर रहे है।
    जिस दिन ये गुलामी का जींस मर जायेगा उस दिन ये नेता और अपना भारत सुधर जायेगा।
    अब देखिये यदि मै किसी पार्टी से जुड़ा हूं तो विरोधी पार्टी के उूपर खीज उतारुंगा क्योकि वो सत्ता मे है जिस दिन मेरी पार्टी सत्ता मे आजायेगी मुझे अपनी पार्टी जिससे मै आस्था से जुड़ा हूं उसकी गलती पर मजबूरी है मै आंखें बंद कर लूंगा।
    क्योकि मे गुलामी की जंजीरों से जकड़ा हूं कही न कहीं मेरा स्वार्थ भी जुड़ा है।

    भाई खीज कर अपने खून को मत जलाओ कमजोर हो जाओगे। चिल्लाते चिल्लाते कई उूपर चले गये नेताओं को कोई फर्क नही पड़ता मोटी खाल के होते है नेताओ की जात अलग होती है। इनके इंसान का दिल नही रहता और न ये इंसान रह जाते हैं

    एक लेख पढ़ा था

    अगर दुनिया को बदलना है तो खुद को बदल डालो दुनिया अपने आप बदल जायेगी।
    इस जींस को मारने की शुरुआत हमे और आपको करनी पड़ेगी।
    फालतू मे अपनी एनर्जी नंगा करने मे वेस्ट कर रहे हैं।
    आसमान मे थूंकोगे थूक वापस मंुह पे गिरेगा
    पहले हम इस गुलामी से बाहर निकले और फिर दूसरो को निकालने मे ताकत लगाये। हम अपनी ताकत नेताओ या पार्टी या संगठन मे बर्बाद कर देते है

    अच्छे प्रयास सार्थक होते है

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  24. बेमानी नही इस पोस्ट के बहुत बडे मायने हैं अगर कोई समझे तो। शुभकामनायें।

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  25. चुलबुले अंदाज में सार्थक पोस्ट।
    कुछ बच्चे फुटबॉल -फुटबॉल खेल रहे थे, उन्हें घुड़का, क्यों कि उनकी फुटबॉल बार बार हमारी बाउंड्री के अन्दर आ रही थी।
    बच्चे बड़े होकर चॉकलेट जरूर खिलाएंगे।

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  26. आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  27. कुछ न कहते कहते भी बहुत कुछ कह गयीं आप.शुभकामनाएं.

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  28. वंदना जी ... बातों ही बातों में आपकी पोस्ट तो आ ही गयी .... ये न कहें की ये बेमानी पोस्ट है ... पोस्ट लगाने से कम से कम ये तो पता चलता है की आप ठीक हैं ... स्वस्थ ठीक है .. घर में सब कुशल है ... आपको दीपावली की मंगल कामनाएं ...

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  29. ये बेमानी कहाँ?
    ...यह सच है कि हम अपने घर में कितना भी काम करें लेकिन प्रशंसा में मिले दो शब्द सारी थकान दूर कर देते हैं..दिल खिल जाता है!

    [[..इस बार मैं ने भी घर पर मिठाई बनाई थी..आप से मिलती तो खिलाती और आप की बनाई हुई खाती भी ///शुक्रिया वंदना जी स्नेह भरे निमंत्रण हेतु.]]

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  30. वंदना जी ... बहुत प्यारी लगी आपकी पोस्ट ... पढ़ कर बहुत मज़ा आया ... और smilies से और भी निखार आगया पोस्ट पर... ...

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  31. काम के प्रति समर्पण....और उसकी मान्यता मिलना दोनों ही मुश्किल से मिलते हैं..आपके खाते में तो दोनों पहलू हैं बधाई....!

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  32. Aapne din bhar ki thakan mitne ka jo karan bataya vah vakayee achhee baat hai.Sabhee gharon me aisa hee ho ham yahee kamna karte hain.

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  33. चलिए संस्मरण लिखने के बहाने आपको अपनी सासू मां से एक प्यारी बांते सुनने को मिल गई. :)

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  34. शायद पहली बार आपके ब्लॉग पर हूँ, पर एक मौलिकता और अपनापन लिए आपकी पोस्ट अपने आप में एक अद्वितीय है ...बहुत अच्छा लगा आपका लेख पढकर ! नियमित आने की कोशिश करूँगा !

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  35. एक बेमानी पोस्ट जिसके मायने बहुत गहरे है...और एक बेनामी टिप्पणी..भाई वाह!

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  36. 6/10

    ऐसी सहज पोस्ट पढने को मैं तरस जाता हूँ.
    ये अंक पोस्ट की सरलता और अपनेपन के लिए हैं.
    आपने एक पंक्ति लिखी है - "एक घंटे तक उसे यहाँ-वहां की सलाह देते हुए, उसके काम में व्यवधान डालते रहे"
    यह हम बुद्धिजीवियों की जीवन का एक हिस्सा है. हम सब आम दिनचर्या में अपनी उपयोगिता अथवा बड़प्पन को साबित करने के लिए यही सब करते हैं.
    अच्छी लगी पोस्ट.

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  37. अरे वाह पंडितजी !
    ये तो कमाल की 'बेमानी पोस्ट' है ! आपकी कलम का कमाल तो हम जानते ही हैं, फिर वर्षों अखबारी लेखन ने भी कलम की नोक में रंग तो भरा ही है, लिहाजा जानता हूँ कि बेमानी ख़बरों को भी चटखदार बनाने का हुनर आपके पास है ! लेकिन इस हुनर की दौलत जब आप पारिवारिक जीवन की छोटी-छोटी बातों को लिखने पर लुटाती हैं तो घर के आँगन में झाकता एक समूचा आकाश प्रतिबिंबित होने लगता है, जो विस्मय-विमुग्ध करता है !
    अब आप बताएं, इसे बेमानी पोस्ट कैसे कहूँ ? अभी तो आपके लेखन की सादगी पर एक प्रचलित शेर कुछ परिवर्तित रूप में मन में उभर रहा है :
    "इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ खुदा,
    कलम में बला के नूर को कहते है अँधेरा !"
    उमेशजी को कहिये वह भी घर की थोड़ी खिदमत किया करें--बाहर की व्यस्तता के नाम पर कन्नी काट जाने से उन्हें रोकिये--मेरी नेक सलाह !
    आशीर्वाद सहित--आ.

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  38. पोंस्‍ट अच्‍छी लगी। लेकिन कृपया शीर्षक इस तरह न दें .... लोग रोज बकवास लिखते हैं और उसे तरह तरह तरह के अनोखे शीर्षक देते हैं। इसलिए आपसे विनम्र निवेदन है कि अपने प्रशंसकों का ख्‍याल रखते हुए शीर्षक पर भी ध्‍यान देकर आकर्षक नाम दिया जाए। पोस्‍ट तो अच्‍छी होगी ही।

    धन्‍यवाद।

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  39. इतनी अर्थवान और बहुमूल्य पोस्ट को आपने बेमानी क्यों कहा ?
    इस्मत जी के बारे जानकर अच्छा लग रहा है। और आप के ताल्लुकात अखबार से हैं ये जानकर बहुत अच्छा लगा।

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  40. इसी पोस्ट के तो सही मे मायने हैं। आज टूटते रिश्ते सहेजना सब से बडी चुनौती है जो आपने बखूबी निभाई। सासू मा का आशीर्वाद और प्यार किसी लडकी के जीवन की सब से बडी उपल्ब्धि है। बधाई।

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  41. bemani nhi ji ?
    bahut sare mayne hai is post ke mslan
    sas bahoo ka pyar ,ghr ki jimmevari adi adi ....
    imandar post

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  42. वाह पोस्ट बेमानी, पर काम तो बेमानी न गया। दो लफ्ज सासू मां के, और सारी थकान छुमंतर। वाह क्या बात है।

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  43. एक दिल लुभाने वाला जुमला और एक सार्थक लेख...बधाई वंदना जी।

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