भारतवर्ष हमारा है, सबका राजदुलारा है,
कोटि-कोटि संतानों की, आखों का उज्ज्वल तारा है !
इसकी माटी मेरा तन, इसका आँगन मेरा मन,
इस धरती का कंकर-पत्थर, है मेरे जीवन का धन !
इसकी शान हमारी शान, इसकी आन हमारी आन,
कोई उठावे आँख देश पर, हम को नहीं गवारा है !
भारतवर्ष...
उत्तर का अधिवासी चीन, मन का काला तन का पीन,
बढ़ा आ रहा है छल-बल से, सीने पर ताने संगीन,
अपने शीश कटा देंगे, दुश्मन को दूर हटा देंगे,
निकल-निकल ओ क्रूर लुटेरे ! यह लद्दाख हमारा है !
भारतवर्ष...
तन दो, मन दो औ' धन दो, अपना सम्पूर्ण समर्पण दो,
एक हाथ से रक्त-दान दो, दूजे से आज़ादी लो,
रुकना नहीं हमारा काम, झुकना नहीं हमारा काम,
'है आराम हराम' यही नेहरु-सुभाष का नारा है !
भारतवर्ष...
वीर शिवा की हम संतान, राणा के रण की हैं आन,
हम झांसी की रानी माँ के, उर-पालित स्वप्निल अरमान,
हमें शपथ माँ-आँचल की, गंगा-यमुना के जल की,
कोई न दुश्मन टिक पायेगा, दृढ संकल्प हमारा है !
भारतवर्ष....
मेरा धर्म--हमारा देश, मेरा कर्म--हमारा देश,
जीवन और जगत-संयोजक, मेरा मर्म--हमारा देश,
मत्त समीरण मेरी सांस, कण-कण में मेरा विश्वास,
मैं प्यारा हूँ भारत माँ को, भारत मुझको प्यारा है !
भारतवर्ष हमारा है, सबका राजदुलारा है.....
( यह गीत मेरे पिताजी श्री रामरतन अवस्थी जी ने मेरे जन्म से भी पहले कभी लिखा था, ऐसा इसलिये कह रही हूं, क्योंकि मैं जब कुछ बड़ी हुई, तभी से इसे गुनगुना रही हूं, मेरी बड़ी दीदी तो इसे बहुत सुन्दर धुन में गाती भी हैं.)
स्वाधीनता दिवस पर अनन्त शुभकामनाएं.
भारतवर्ष....मेरा धर्म--हमारा देश, मेरा कर्म--हमारा देश,जीवन और जगत-संयोजक, मेरा मर्म--हमारा देश,मत्त समीरण मेरी सांस, कण-कण में मेरा विश्वास,मैं प्यारा हूँ भारत माँ को, भारत मुझको प्यारा है !
जवाब देंहटाएंभारतवर्ष हमारा है, सबका राजदुलारा है.....
वाह....पिता जी की भावनाओं को शत शत नमन...
और उनकी शिक्षा को इस तरह संजोने के लिए आपको बधाई...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
achi hai likhti raho taki mai churata rahu..................
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्पोस्त।
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।
बहुत ही अच्छी कविता है .
जवाब देंहटाएंदीदी की आवाज़ में भी गीत सुन पाते तो क्या बात थी!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंइसकी माटी मेरा तन, इसका आँगन मेरा मन,
जवाब देंहटाएंइस धरती का कंकर-पत्थर, है मेरे जीवन का धन !
इसकी शान हमारी शान, इसकी आन हमारी आन,
कोई उठावे आँख देश पर, हम को नहीं गवारा है !
भारतवर्ष
बहुत बढ़िया भाव हैं ,एक जोश सा भर जाता है हृदय में ,आदरणीय कवि (पिता जी ) को हमारा सलाम है,जिस मेयार की कविता है उस के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं
स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपने हम सब उपकार किया कि पिता श्री की राष्ट्र भावना से लबरेज़ इस गीत से रूबरू कराया!!आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
अंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व
..मुबारक हो!
समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:
आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html
मेरा धर्म--हमारा देश, मेरा कर्म--हमारा देश,
जवाब देंहटाएंजीवन और जगत-संयोजक, मेरा मर्म--हमारा देश,
राष्ट्रीय भावना के जज्बे को संजोये आपके पिताश्री की रचना अनुपम है
आभार आपका कि रूबरू करवाया
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..मुझे तो पसंद आई.
जवाब देंहटाएं________________
स्वतंत्रता दिवस की बधाइयाँ..!!
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
जवाब देंहटाएंवीर शिवा की हम संतान, राणा के रण की हैं आन,
जवाब देंहटाएंहम झांसी की रानी माँ के, उर-पालित स्वप्निल अरमान,
हमें शपथ माँ-आँचल की, गंगा-यमुना के जल की,
कोई न दुश्मन टिक पायेगा, दृढ संकल्प हमारा है !
एक लाज़वाब रचना..भारत का इतिहास तो महान ही है...स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
जय हिंद
जवाब देंहटाएंhttp://rimjhim2010.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html
अब तो दीदी की आवाज में गीत यहीं लगाइए जिसे सुनकर हम भी सुंदर गीत का आनन्द ले सके पिता जी को भी नमन. आपको स्वतंत्रता दिवस पर ढेरों शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा गीत है । स्वतंत्रता दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंसंदुर देशभक्ति गीत ।
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाऍं ।
वीर रस से ओतप्रोत यह कविता आज भी उर्जा का संचार करती है.
जवाब देंहटाएंपिताजी का लिखा हुआ गीत मन में फिर से वाही सिहरन दे गया जो राष्ट्रीय गान के समय होती है |अब ऐसे गीत कम ही सुनने को मिलते है \आपका बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम |
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!
जवाब देंहटाएंhttp://iisanuii.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html
वाह अन्कल जी के देश प्रेम को देख सर सम्मान से झुक गया ,
जवाब देंहटाएं..वीर शिवा की हम संतान, राणा के रण की हैं आन,हम झांसी की रानी माँ के, उर-पालित स्वप्निल अरमान,हमें शपथ माँ-आँचल की, गंगा-यमुना के जल की,कोई न दुश्मन टिक पायेगा, दृढ संकल्प हमारा है ! भारतवर्ष....मेरा धर्म--हमारा देश, मेरा कर्म--हमारा देश,जीवन और जगत-संयोजक, मेरा मर्म--हमारा देश,मत्त समीरण मेरी सांस, कण-कण में मेरा विश्वास,मैं प्यारा हूँ भारत माँ को, भारत मुझको प्यारा है !
भारतवर्ष हमारा है, सबका राजदुलारा है.....
कितने सुन्दर भाव .....हार्दिक बधाई स्वत्रन्ता दिवस की .
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...!!
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंअपना सम्पूर्ण समर्पण दो,एक हाथ से रक्त-दान दो, दूजे से आज़ादी लो,वाह...स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआजादी के अवसर पर जोश जगाता बहुत सुंदर गीत पढवाया आपने...
जवाब देंहटाएंआपका आभार ..और गीतकार को कोटि कोटि नमन...
vatanparsti se labrej is kavita ko padh kar bahut achchha laga--aapke papa ko naman aur aap ka bahut dhanyavaad is heere ko rubru karane ke liye
जवाब देंहटाएं.मेरा धर्म--हमारा देश, मेरा कर्म--हमारा देश,
जवाब देंहटाएंजीवन और जगत-संयोजक, मेरा मर्म--हमारा देश,
मत्त समीरण मेरी सांस, कण-कण में मेरा विश्वास,
मैं प्यारा हूँ भारत माँ को, भारत मुझको प्यारा है !
नई उमंग और नई जोश से भरी कविता है...कितनी लकी हो...एक्सक्लूसिव कविता गुनगुनाती हुई बड़ी हुई...और अब हम भी पढ़ पा रहें हैं...सच,जैसे शब्द शब्द में अपने देश के प्रति प्यार छलका पड़ रहा है...
दीदी कितना बढ़िया गाती होंगी..
तुमने तो कभी कोशिश नहीं की,ना? :) :) (just joking)
तन दो, मन दो औ' धन दो, अपना सम्पूर्ण समर्पण दो,
जवाब देंहटाएंएक हाथ से रक्त-दान दो, दूजे से आज़ादी लो,
रुकना नहीं हमारा काम, झुकना नहीं हमारा काम,
'है आराम हराम' यही नेहरु-सुभाष का नारा है ..
इस दिवस को सार्थक करती रचना ... कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं ...
तन समर्पित, मन समर्पित, और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश के धरती तुझे कुछ और भी दूँ .....
इसकी माटी मेरा तन, इसका आँगन मेरा मन,
जवाब देंहटाएंइस धरती का कंकर-पत्थर, है मेरे जीवन का धन !
इसकी शान हमारी शान, इसकी आन हमारी आन,
कोई उठावे आँख देश पर, हम को नहीं गवारा है !
भारतवर्ष...
वाह .....
आप पर भी पिता के संस्कार हैं .....अच्छा लहता है जानकार ...
देख रही हूँ हम सभी ब्लोगर दिल के कितने पाक और साफ़ हैं ....
मुझे याद है विवाह से पहले घर पर पापा हर स्वतंत्रता दिवस पर झंडा जरुर चढाया करते थे ...हम भी तीनों भाई बहन राष्ट्रीय गीत का सैल्यूट मारते ....
यही परम्परा विवाह के बाद भी चलानी चाही तो इतना मजाक उड़ाया गया कि आज तक ......
जय हिंद ......!!
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..!
जवाब देंहटाएंभारतवर्ष हमारा है, सबका राजदुलारा है,
जवाब देंहटाएंकोटि-कोटि संतानों की, आखों का उज्ज्वल तारा है !
देश को समर्पित बड़ी प्यारी रचना सामयिक है यह...शुभकामनायें वन्दना जी !
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
देशभक्ति से ओतप्रोत बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!
इसकी माटी मेरा तन, इसका आँगन मेरा मन,
जवाब देंहटाएंइस धरती का कंकर-पत्थर, है मेरे जीवन का धन !
इसकी शान हमारी शान, इसकी आन हमारी आन,
कोई उठावे आँख देश पर, हम को नहीं गवारा है !
जिस भूमि पर हम पैदा हुए उससे बढ़कर अज़ीज हमारे लिए और कुछ हो ही नही सकता..देशभक्ति से ओत-प्रोत एक लाज़वाब रचना..भावपूर्ण रचना के लिए आभार...
इसकी माटी मेरा तन, इसका आँगन मेरा मन,
जवाब देंहटाएंइस धरती का कंकर-पत्थर, है मेरे जीवन का धन !
इसकी शान हमारी शान, इसकी आन हमारी आन,
कोई उठावे आँख देश पर, हम को नहीं गवारा है !
वंदना इस तोहफे के लिए धन्यवाद. यह देश प्रेम सबके दिल मैं होना चहिये.