शनिवार, 14 अगस्त 2010

भारत वर्ष हमारा है......


भारतवर्ष हमारा है, सबका राजदुलारा है,
कोटि-कोटि संतानों की, आखों का उज्ज्वल तारा है !

इसकी माटी मेरा तन, इसका आँगन मेरा मन,
इस धरती का कंकर-पत्थर, है मेरे जीवन का धन !
इसकी शान हमारी शान, इसकी आन हमारी आन,
कोई उठावे आँख देश पर, हम को नहीं गवारा है !
भारतवर्ष...
उत्तर का अधिवासी चीन, मन का काला तन का पीन,
बढ़ा आ रहा है छल-बल से, सीने पर ताने संगीन,
अपने शीश कटा देंगे, दुश्मन को दूर हटा देंगे,
निकल-निकल ओ क्रूर लुटेरे ! यह लद्दाख हमारा है !
भारतवर्ष...
तन दो, मन दो औ' धन दो, अपना सम्पूर्ण समर्पण दो,
एक हाथ से रक्त-दान दो, दूजे से आज़ादी लो,
रुकना नहीं हमारा काम, झुकना नहीं हमारा काम,
'है आराम हराम' यही नेहरु-सुभाष का नारा है !
भारतवर्ष...
वीर शिवा की हम संतान, राणा के रण की हैं आन,
हम झांसी की रानी माँ के, उर-पालित स्वप्निल अरमान,
हमें शपथ माँ-आँचल की, गंगा-यमुना के जल की,
कोई न दुश्मन टिक पायेगा, दृढ संकल्प हमारा है !
भारतवर्ष....
मेरा धर्म--हमारा देश, मेरा कर्म--हमारा देश,
जीवन और जगत-संयोजक, मेरा मर्म--हमारा देश,
मत्त समीरण मेरी सांस, कण-कण में मेरा विश्वास,
मैं प्यारा हूँ भारत माँ को, भारत मुझको प्यारा है !

भारतवर्ष हमारा है, सबका राजदुलारा है.....

( यह गीत मेरे पिताजी श्री रामरतन अवस्थी जी ने मेरे जन्म से भी पहले कभी लिखा था, ऐसा इसलिये कह रही हूं, क्योंकि मैं जब कुछ बड़ी हुई, तभी से इसे गुनगुना रही हूं, मेरी बड़ी दीदी तो इसे बहुत सुन्दर धुन में गाती भी हैं.)
स्वाधीनता दिवस पर अनन्त शुभकामनाएं.

38 टिप्‍पणियां:

  1. भारतवर्ष....मेरा धर्म--हमारा देश, मेरा कर्म--हमारा देश,जीवन और जगत-संयोजक, मेरा मर्म--हमारा देश,मत्त समीरण मेरी सांस, कण-कण में मेरा विश्वास,मैं प्यारा हूँ भारत माँ को, भारत मुझको प्यारा है !
    भारतवर्ष हमारा है, सबका राजदुलारा है.....

    वाह....पिता जी की भावनाओं को शत शत नमन...
    और उनकी शिक्षा को इस तरह संजोने के लिए आपको बधाई...
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  2. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. बहुत अच्छी प्पोस्त।
    स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।

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  4. बहुत ही अच्छी कविता है .
    दीदी की आवाज़ में भी गीत सुन पाते तो क्या बात थी!
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  5. इसकी माटी मेरा तन, इसका आँगन मेरा मन,
    इस धरती का कंकर-पत्थर, है मेरे जीवन का धन !
    इसकी शान हमारी शान, इसकी आन हमारी आन,
    कोई उठावे आँख देश पर, हम को नहीं गवारा है !
    भारतवर्ष

    बहुत बढ़िया भाव हैं ,एक जोश सा भर जाता है हृदय में ,आदरणीय कवि (पिता जी ) को हमारा सलाम है,जिस मेयार की कविता है उस के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं

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  6. स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  7. आपने हम सब उपकार किया कि पिता श्री की राष्ट्र भावना से लबरेज़ इस गीत से रूबरू कराया!!आभार !

    बहुत खूब !

    अंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व
    ..मुबारक हो!

    समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:

    आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html

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  8. मेरा धर्म--हमारा देश, मेरा कर्म--हमारा देश,
    जीवन और जगत-संयोजक, मेरा मर्म--हमारा देश,
    राष्ट्रीय भावना के जज्बे को संजोये आपके पिताश्री की रचना अनुपम है
    आभार आपका कि रूबरू करवाया

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  9. आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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  10. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..मुझे तो पसंद आई.
    ________________
    स्वतंत्रता दिवस की बधाइयाँ..!!

    जवाब देंहटाएं
  11. आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  12. वीर शिवा की हम संतान, राणा के रण की हैं आन,
    हम झांसी की रानी माँ के, उर-पालित स्वप्निल अरमान,
    हमें शपथ माँ-आँचल की, गंगा-यमुना के जल की,
    कोई न दुश्मन टिक पायेगा, दृढ संकल्प हमारा है !

    एक लाज़वाब रचना..भारत का इतिहास तो महान ही है...स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  13. अब तो दीदी की आवाज में गीत यहीं लगाइए जिसे सुनकर हम भी सुंदर गीत का आनन्द ले सके पिता जी को भी नमन. आपको स्वतंत्रता दिवस पर ढेरों शुभकामनाएं.

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  14. बहुत प्यारा गीत है । स्वतंत्रता दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें ।

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  15. संदुर देशभक्ति गीत ।
    स्‍वतंत्रता दिवस की शुभकामनाऍं ।

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  16. वीर रस से ओतप्रोत यह कविता आज भी उर्जा का संचार करती है.

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  17. पिताजी का लिखा हुआ गीत मन में फिर से वाही सिहरन दे गया जो राष्ट्रीय गान के समय होती है |अब ऐसे गीत कम ही सुनने को मिलते है \आपका बहुत बहुत आभार |
    वन्दे मातरम |

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  18. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!


    http://iisanuii.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html

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  19. वाह अन्कल जी के देश प्रेम को देख सर सम्मान से झुक गया ,
    ..वीर शिवा की हम संतान, राणा के रण की हैं आन,हम झांसी की रानी माँ के, उर-पालित स्वप्निल अरमान,हमें शपथ माँ-आँचल की, गंगा-यमुना के जल की,कोई न दुश्मन टिक पायेगा, दृढ संकल्प हमारा है ! भारतवर्ष....मेरा धर्म--हमारा देश, मेरा कर्म--हमारा देश,जीवन और जगत-संयोजक, मेरा मर्म--हमारा देश,मत्त समीरण मेरी सांस, कण-कण में मेरा विश्वास,मैं प्यारा हूँ भारत माँ को, भारत मुझको प्यारा है !
    भारतवर्ष हमारा है, सबका राजदुलारा है.....
    कितने सुन्दर भाव .....हार्दिक बधाई स्वत्रन्ता दिवस की .

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  20. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...!!

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  21. ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

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  22. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  23. अपना सम्पूर्ण समर्पण दो,एक हाथ से रक्त-दान दो, दूजे से आज़ादी लो,वाह...स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

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  24. आजादी के अवसर पर जोश जगाता बहुत सुंदर गीत पढवाया आपने...

    आपका आभार ..और गीतकार को कोटि कोटि नमन...

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  25. vatanparsti se labrej is kavita ko padh kar bahut achchha laga--aapke papa ko naman aur aap ka bahut dhanyavaad is heere ko rubru karane ke liye

    जवाब देंहटाएं
  26. .मेरा धर्म--हमारा देश, मेरा कर्म--हमारा देश,
    जीवन और जगत-संयोजक, मेरा मर्म--हमारा देश,
    मत्त समीरण मेरी सांस, कण-कण में मेरा विश्वास,
    मैं प्यारा हूँ भारत माँ को, भारत मुझको प्यारा है !

    नई उमंग और नई जोश से भरी कविता है...कितनी लकी हो...एक्सक्लूसिव कविता गुनगुनाती हुई बड़ी हुई...और अब हम भी पढ़ पा रहें हैं...सच,जैसे शब्द शब्द में अपने देश के प्रति प्यार छलका पड़ रहा है...
    दीदी कितना बढ़िया गाती होंगी..

    तुमने तो कभी कोशिश नहीं की,ना? :) :) (just joking)

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  27. तन दो, मन दो औ' धन दो, अपना सम्पूर्ण समर्पण दो,
    एक हाथ से रक्त-दान दो, दूजे से आज़ादी लो,
    रुकना नहीं हमारा काम, झुकना नहीं हमारा काम,
    'है आराम हराम' यही नेहरु-सुभाष का नारा है ..

    इस दिवस को सार्थक करती रचना ... कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं ...
    तन समर्पित, मन समर्पित, और यह जीवन समर्पित
    चाहता हूँ देश के धरती तुझे कुछ और भी दूँ .....

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  28. इसकी माटी मेरा तन, इसका आँगन मेरा मन,
    इस धरती का कंकर-पत्थर, है मेरे जीवन का धन !
    इसकी शान हमारी शान, इसकी आन हमारी आन,
    कोई उठावे आँख देश पर, हम को नहीं गवारा है !
    भारतवर्ष...

    वाह .....
    आप पर भी पिता के संस्कार हैं .....अच्छा लहता है जानकार ...
    देख रही हूँ हम सभी ब्लोगर दिल के कितने पाक और साफ़ हैं ....
    मुझे याद है विवाह से पहले घर पर पापा हर स्वतंत्रता दिवस पर झंडा जरुर चढाया करते थे ...हम भी तीनों भाई बहन राष्ट्रीय गीत का सैल्यूट मारते ....
    यही परम्परा विवाह के बाद भी चलानी चाही तो इतना मजाक उड़ाया गया कि आज तक ......
    जय हिंद ......!!

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  29. भारतवर्ष हमारा है, सबका राजदुलारा है,
    कोटि-कोटि संतानों की, आखों का उज्ज्वल तारा है !

    देश को समर्पित बड़ी प्यारी रचना सामयिक है यह...शुभकामनायें वन्दना जी !

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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

    देशभक्ति से ओतप्रोत बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!

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  31. इसकी माटी मेरा तन, इसका आँगन मेरा मन,
    इस धरती का कंकर-पत्थर, है मेरे जीवन का धन !
    इसकी शान हमारी शान, इसकी आन हमारी आन,
    कोई उठावे आँख देश पर, हम को नहीं गवारा है !

    जिस भूमि पर हम पैदा हुए उससे बढ़कर अज़ीज हमारे लिए और कुछ हो ही नही सकता..देशभक्ति से ओत-प्रोत एक लाज़वाब रचना..भावपूर्ण रचना के लिए आभार...

    जवाब देंहटाएं
  32. इसकी माटी मेरा तन, इसका आँगन मेरा मन,
    इस धरती का कंकर-पत्थर, है मेरे जीवन का धन !
    इसकी शान हमारी शान, इसकी आन हमारी आन,
    कोई उठावे आँख देश पर, हम को नहीं गवारा है !

    वंदना इस तोहफे के लिए धन्यवाद. यह देश प्रेम सबके दिल मैं होना चहिये.

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