सोमवार, 23 अगस्त 2010

रक्षा सूत्र... कैसे-कैसे....

कई दिनों से सोच रही हूँ, कुछ लिखूं, आज लिखने बैठी तो रक्षा बंधन के लिए!
क्या लिखूं उस त्यौहार पर, जिसे मैंने कभी महसूस ही नहीं किया? बहन का भाई के प्रति या भाई का बहन के प्रति कैसा स्नेह होता होगा, पता ही नहीं..... क्योंकि मेरा कोई भाई ही नहीं है. वैसे तो मेरे खानदान में लड़कों की भरमार है, सो भाइयों की कमी नहीं है, लेकिन न हम बहनों का कोई सगा भाई है, न हमने कभी उसकी कमी महसूस की.
जब छोटी थी, तब ज़रूर सोचती थी कि हमारा कोई भाई क्यों नहीं है? लेकिन ये सोचना भी क्षणांश के लिए होता था. कारण, हमें कभी ये महसूस ही नहीं होने दिया गया कि हमारा भाई नहीं है, या वो होता तो बेहतर होता. हम छह बहनों को जिस लाड-प्यार और एहतियात से पाला गया, वो लिखने का मसला नहीं है.
याद आता है बचपन का रक्षा बंधन, जब हम बहनों के लिए नए कपडे आते, नौगाँव में रक्षा बंधन के पहले मेला लगता, ( बुंदेलखंड में आज भी मेले कि प्रथा है) मैं दीदी के साथ जाती और तमाम खिलौने खरीदती, खूब सारी राखियाँ खरीदीं जातीं. उस दिन मम्मी खूब अच्छा-अच्छा खाना बनाती.... पूरी, कचौड़ी, खीर, दही बड़े और


एक बार मैंने मम्मी से पूछा था- "कि गुड्डो तो अपने भाई को राखी बांधती है, फिर हम पापा जी को क्यों बांधते हैं?" मेरी मम्मी ने बड़े प्यार से समझाया था- "रक्षा बंधन रक्षा सूत्र बाँधने का त्यौहार है, जो रक्षा करे, उसे ही ये रक्षा-सूत्र, यानि राखी बांधनी चाहिए, ज़रूरी नहीं कि वो तुम्हारा भाई ही हो."
मिठाइयाँ बाज़ार से आतीं..... हम नहा-धो के तैयार होते, और अपने पापा को बड़े शौक से राखी बांधते, बदले में हम सबको रुपये मिलते. फिर हम बहने एक दूसरे को राखी बाँध देते, और पूरा कार्यक्रम मेरी मम्मी बड़े स्नेह से करवातीं. एक बार मैंने मम्मी से पूछा था- "कि गुड्डो तो अपने भाई को राखी बांधती है, फिर हम पापा जी को क्यों बांधते हैं?" मेरी मम्मी ने बड़े प्यार से समझाया था- "रक्षा बंधन रक्षा सूत्र बाँधने का त्यौहार है, जो रक्षा करे, उसे ही ये रक्षा-सूत्र, यानि राखी बांधनी चाहिए, ज़रूरी नहीं कि वो तुम्हारा भाई ही हो."
मेरी समझ में बात आ गई थी. फिर कभी नहीं पूछा. बाद में बड़े होने पर तो मम्मी की बात और भी ज्यादा सही लगने लगी. मेरी ननदों की, डाक द्वारा आईं हुई राखियाँ मैं उमेश जी को बांधती हूँ :) आखिर अब रक्षा का भार तो उन्ही पर है न? कभी किसी संकट में पड़ी, तो कौन सा भाई आकर मदद करेगा? सबसे पहले रक्षा करने वाले, मदद करने वाले उमेश जी ही होंगे न? तब रक्षा सूत्र उन्हें ही क्यों न बाँधा जाए?
वैसे ये केवल मेरा विचार है, और मैं इस पर अमल करती हूँ, बल्कि तोहफे भी लेती हूँ, लड़ - झगड़ के, फिर वो चाहे कैडबरीज़ का सेलिब्रेशन पैक ही क्यों न हो.
भाई-बहन के स्नेह का ये त्यौहार अपनी गरिमा बनाए रखे, आप सब को बहुत बहुत शुभकामनाएं.

34 टिप्‍पणियां:

  1. वन्दना ,
    तुम ने ये लिखा ज़रूर है कि तुम ने उस कमी को महसूस नहीं किया लेकिन तुम्हारा ये वाक्य कि

    क्या लिखूं उस त्यौहार पर, जिसे मैंने कभी महसूस ही नहीं किया

    तुम्हारे मन के किसी कोने में छिपी उस इच्छा को दर्शाता है लेकिन जिस तरह तुम्हारा लालन पालन हुआ वो क़ाबिल ए तारीफ़ है ,और तुम्हारा ये नज़रिया भी कि रक्षा के ये धागे भी उसी को बांधे जाएं जो रक्षा करता है
    मुझे तो लगता है ये पर्व रोज़ ही आता है क्योंकि हर बहन रोज़ाना ही अपने भाई की सेहत ,ज़िंदगी और ख़ुशी की कामना करती है ,हर भाई मन में ही सही अपनी बहन को वचन देता है
    अल्लाह से बस यही दुआ है भाई बहनों के बीच ये प्यार हमेशा बना रहे
    आप सब को बधाई और शुभ कामनाएं

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  2. ओहो ...तो ये सारा कुछ तोहफे के लिए किया जाता है...हम्म चाहे 'कैडबरीज़ का सेलिब्रेशन पैक ' ही क्यूँ ना हो...अकेले अकेले ही तो सारा गप्प नहीं कर जाती...बिटिया से भी बांटती हो या नहीं..:) :)

    बहुत हीखूबसूरत संस्मरणात्मक पोस्ट ...वो मेला...पूरी कचौरी,दही-बड़े....कितना कुछ याद दिला दिया...हाथ भी नहीं हिलाने पड़ते थे...और सब हाज़िर...माँ ने राखी बंधवाने की बड़ी अच्छी परंपरा रखी...
    तुम्हे भी राखी की ढेरों शुभकामनाएं....

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  3. बहुत सुन्दर ..
    रक्षाबंधन पर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाये.....

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  4. आपको और परिवार में सभी को राखी के इस पावन पर्व पर बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

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  5. "रक्षा बंधन रक्षा सूत्र बाँधने का त्यौहार है, जो रक्षा करे, उसे ही ये रक्षा-सूत्र, यानि राखी बांधनी चाहिए, ज़रूरी नहीं कि वो तुम्हारा भाई ही हो."
    वंदना जी, इस वाक्य में...आपने माता जी की बात के माध्यम से अमर संदेश दिया है...
    परिवार से मिले ऐसे ही संस्कार और हौसले ताकत बनते हैं...
    आपकी ये बातें हम सबके लिए प्रेरणा हैं...
    इस पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं.

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  6. अच्छा लगा यह संस्मरण..मेरे भी दोनों बेटे हैं-याद नहीं आता कि उन्होंने कभी बहन की कमी महसूस की हो..चचेरी मौसेरी बहनें हमेशा ही आसपास होती थीं शायद इसलिए.

    रक्षा बंधन के अवसर पर अनेक बधाई और शुभकामनाये

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  7. रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
    हिन्दी ही ऐसी भाषा है जिसमें हमारे देश की सभी भाषाओं का समन्वय है।

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  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  9. अच्‍छी जानकारी .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!

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  10. बहुत सुन्दर रचना...
    रक्षाबंधन पर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाये.....

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  11. वैसे ये केवल मेरा विचार है, और मैं इस पर अमल करती हूँ, बल्कि तोहफे भी लेती हूँ, लड़ - झगड़ के, फिर वो चाहे कैडबरीज़ का सेलिब्रेशन पैक ही क्यों न हो.

    उत्तम विचार है। पोस्ट की तरह! बताया जाये कि इस बार क्या लिया-दिया गया? कितना लड़ा-झगड़ा गया?

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  12. रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं !!!!!!

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  13. भाई बहन का ये त्योहार बौट पावन और सार्थक संदेश देता है ...
    आपको रक्षाबन्धन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ....

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  14. सुन्दर विचार । रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें ।

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  15. रक्षा बंधन प्रेम और पारस्परिक आदरभाव का पर्व है -आपको इस अवसर आदर भरी शुभकामनाएं !

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  16. "रक्षा बंधन रक्षा सूत्र बाँधने का त्यौहार है, जो रक्षा करे, उसे ही ये रक्षा-सूत्र, यानि राखी बांधनी चाहिए, ज़रूरी नहीं कि वो तुम्हारा भाई ही हो."

    और कुछ कहने की जरुरत नहीं है.

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  17. बहुत सुन्दर ..
    रक्षाबंधन पर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाये.....

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  18. यह तो भाई बहन का प्रतीकात्मक है यह त्यौहार |वैसे तो सारे रिश्ते ही स्नेह के अधिकारी है |
    बहुत सुन्दर संस्मरण |

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  19. इस्मत जैदी के कमेन्ट बहुत अच्छे लगे उन्होंने, लगा कि मेरे भाव लिख दिए... शुभकामनायें आपको !

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  20. bahut sundar likha .tyohaar khushiyon ko baantne ke liye hota hai aur yahi aham hai ,ya kisi nek kaam se is din ko khas bana de jisse har kami poori ho jaaye .baaki yah andaaj bhi nirala hai .

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  21. वन्दना जी, व्यस्तता के कारण आज आप का लेख पढ़ा,मन को छू गया,देर से सही एक भाई की तरफ बहन को रक्षा बंधन की बधाई और शुभ कामनाएं

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  22. वन्दना जी, व्यस्तता के कारण आज आप का लेख पढ़ा,मन को छू गया,देर से सही एक भाई की तरफ बहन को रक्षा बंधन की बधाई और शुभ कामनाएं

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  23. आपने बहुत सही लिखा है |एक अच्छी रचना के लिए बधाई |मेरे बलों पर आने के लिए आभार
    आशा

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  24. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना! उम्दा प्रस्तुती!

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  25. वन्दना जी आपका राखी के बारे में अलग सा नजरिया जान कर अच्छा लगा । मेरे तो भाई थे तो बहुत हर्षोल्लास के साथ त्यौहार मनाये जाते थे राखी भी । अब मुझसे दो बडे भाई काल कवलित हो चुके हैं तो कलेजे में इस दिन एक हूक सी तो उठती ही है । छोटे भाई को जरूर राखी भेजती हूँ फोन पर बात भी करती हूँ ।
    रक्षा बन्धन पर्व सुंदर ही बीता होगा ।

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  26. मेरे यहाँ भी कोपल को पहली राखी बान्धने का हक है .. कोई भी हो उसे यह अधिकार सबसे पहले मिलता है । बाकी तो पर्व है ...।

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  27. बहुत पसंद आया या लेख .देर से पढ़ पायी इसको वाकई रक्षा के धागे उसी को बांधे जाए जो रक्षा कर पाए

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  28. वंदना मैं कुछ दिनों से नेट पे नहीं आ रहा था.इसी कारण यह कमेन्ट भी देर से आ रहा है. यह मेरा मानना है की सगे भाई की जगह कोई नहीं ले सकता. बाकी रिश्ते आज के युग मैं ज़बानी जमाखर्च के कुछ नहीं हुआ करते. मैं इस बात पे यकीन रखता हूँ की अगर किसी को बहन या भाई कह दिया तो निभाओ भी. ऐसे लोग भी मोजूद हैं जो अगर बहन कह दें तो निभाते भी हैं.
    वैसे वंदना मेरी राखी कहां है?

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  29. बहुत देर से आई इस पोस्ट पे .....
    पर उस औरत को दाद देना चाहूंगी ....जिसने कभी इस त्यौहार में आपको मायूस न होने दिया .....
    राखी लानी और पिता को राखी बंधवानी ....आप सब बहनों को भाई की कमी कभी महसूस नहीं होने दी .....
    आपकी माता जी को नमन है ......!!

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