गुरुवार, 20 मई 2010

स्वर्ग सा सुन्दर: गोवा

सोलह मई को अपनी गोवा यात्रा सम्पन्न कर सतना लौटी. लौट तो आई, लेकिन मन वहीं कहीं हरियाली के बीच छूट गया. इतना सुन्दर राज्य. हालांकि मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है, सब जानते हैं, गोवा के बारे में. फिर भी कुछ तस्वीरें तो दिखा ही सकती हूं, ज़्यादा बोर नहीं करूंगी लम्बा सा वृतांत लिख के.

गोवा

ब्यौरेविवरण
क्षेत्रफल3,702 वर्ग कि.मी.
जनसंख्‍या1,343,998
राजधानीपणजी
मुख्‍य भाषाएंकोंकणी तथा मराठी




सतना से गोवा की ओर जाने पर मध्य-प्रदेश की सीमा खंड्वा से समाप्त हो जाती है, और समाप्त हो जाता है तमाम वृक्ष-विहीन इलाका. महाराष्ट्र राज्य के शुरु होते ही हरियाली भी शुरु हो जाती है. भुसावल में केले के बड़े-बड़े बगीचे, तो नासिक में अंगूर के बगीचे!!! नारियल के पेड़ तो हैं ही.
पनवेल से ट्रेन गोवा की ओर मुखातिब हो जाती है, और शुरु होता है कोंकण का खूबसूरत हरा-भरा इलाका. पानी से लबालब भरी नदियां और फलों से लदे वृक्ष. सड़क-मार्ग पर दोनों ओर आम, इमली और नीम जैसे बड़े वृक्ष मुसाफ़िरों को भरपूर छाया देते हैं. पर्यावरण को प्रदूषित होने से तो बचाते ही हैं. चंद तस्वीरें देखें और तुलना करें, बतायें कि क्या मध्य-प्रदेश शासन सड़क-मार्ग को भी वृक्षों से आच्छादित नहीं कर सकता? ज़मीन इतनी बंजर पड़ी है कि देख के तकलीफ़ होती है.

मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के जंगल
गोवा की एक आम सड़क और
मुम्बई का एक खास स्था
ऊपर मरीन ड्राइव मुम्बई, और नीचे गोवा का तट जहां आप आंख मूंद के चल सकते हैं

मुम्बई की कुछ जगहों के चित्र देने के पीछे मेरा मकसद मुम्बई को शर्मिन्दा करना नहीं है, वरन केवल आगाह करने की कोशिश है. आम लोग , जिनमें मैं भी शामिल हूं, जब गोवा जैसी अनुशासित जगहों पर जाते हैं, तो वहां एक कागज़ भी सड़क पर फ़ेंकने से पहले सोचते हैं, और हमीं लोग दूसरी जगहों पर जाकर गन्दगी फैलाते हैं.
नियम तो हर जगह बने होते हैं लेकिन उनका पालन सख्ती से नहीं करवाया जाता ( ’करवाया जाता’....हमारे यहां आज भी लोगों को करवाये जाने की आदत है. अपने आप कुछ करना ही नहीं चाहते) लिहाजा लोग मनमानी करते हैं. डस्टबिन तक जाने की ज़हमत नहीं उठाते और जहां खड़े होते हैं वहीं कचरा फेंक देते हैं, लेकिन गोवा या पॉन्डिचेरी जैसी जगहों पर जाते हैं तो सभी नियमों का पालन करते हैं.
यानी ज़रूरत है नियम बनाने की और उन्हें कड़ाई से लागू करने की, तभी हमारा प्रदेश या अन्य दूसरे प्रदेश गोवा की तरह साफ़-सुथरे बन पायेंगे.

सभी तस्वीरें: उमेश दुबे


40 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्चा वृत्तान्त और बहुत ही ठीक तुलना. गोवा जाने का मन कर रहा है

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  2. बहुत सुंदर चित्र, क्या सच मै भारत मै कोई ऎसा राज्य भी है जहां गंदगी नही?? यह मेरे लिये दुनिया का आठंवा आजूबा होगा

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  3. बहुत ही सुन्दर सोच. लेकिन वन्दना जी गोआ जाने के लिये ये मौसम ठीक नही. असली मज़ा दिसम्बर जनवरी मे है.

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  4. सुन्दर चित्र गोवा की खूबसूरती बयान कर रहे हैं.
    बहुत सुन्दर वृत्तांत

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  5. सही कह रही हैं आप,चित्र बहुत सुंदर हैं.

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  6. गोवा की बीचिज का ज़वाब नहीं । मुंबई की जुहू बीच तो इनके आगे तालाब का किनारा लगती है।

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  7. मनमोहक चित्रों के साथ
    उपयोगी जानकारी देने के लिए आभार!

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  8. बहुत अच्छा वृत्तान्त, लेकिन हम और ज्यादा बोर होना चाहते थे :) एकाध कड़ी और डालिये, हो सके तो।

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  9. आपने दो दो चित्र दिखा कर सच्चाई दिखाई है किसी को नीचा दिखने के लिए नहीं हम हिन्दुस्तानियों को वास्तविकता बताने के लिए...
    जानकारी भरी सुन्दर पोस्ट
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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  10. ०-धन्यवाद युगल जी,
    ०- राज जी, गोवा आठवें अजूबे में शामिल होने लायक ही साफ़-सुथरा है.
    ०- जानती हूं हरि जी, लेकिन क्या करूं, मेरी छुट्टियां गरमी में ही होती हैं.
    ०- धन्यवाद वर्मा जी.
    ०- धन्यवाद मनोज जी.
    ०- डा. साहब, जुहू बीच पर तो समुन्दर में लहरें ही नहीं उठतीं. ठीक कह रहे हैं, तालाब जैसा ही हो गया है जुहू बीच.
    ०- धन्यवाद शास्त्री जी.
    ०- संजय जी, यदि और बोर होने की इच्छा है, तो ठीक है, हम भी तो अभी और किस्से सुनाना चाह रहे हैं :)
    ०- धन्यवाद महफ़ूज भाई.

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  11. वाह जी वाह ...................बहुत खूब ..............बढ़िया पोस्ट !!
    यात्रा कैसी रही ??

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  12. मैं बहुत दिनों से परेशान था..स्वर्ग जाने का मन नहीं हो रहा था ...जिसे देखो वही स्वर्गवासी..!
    आज स्वर्ग सा सुंदर दूसरा तो मिला.
    अब तो गोवा जाना ही पड़ेगा.
    ..सुंदर पोस्ट.

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  13. वंदना जी, गोवा यात्रा के इस सुन्दर वृत्तांत की प्रस्तुति के लिये धन्यवाद. कैमरे की नज़र से मुंबई और गोवा दिखाने के लिये आद. उमेश जी की जितनी भी तारीफ़ की जाये कम है.

    माफ़ कीजियेगा, पहली बार ऐसा लगा, जैसे इस यात्रा के बारे में आप कुछ और भी कहना चाहती हैं. आशा है जल्दी ही पूरी रिपोर्ट पढ़ने को मिल सकेगी.

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  14. आप सफरनामे लिखने की भी माहिर हैं. पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर जो चिंताएं आपके मन में हैं, वो आपकी सम्वेदनशीलता का परिचायक हैं.
    आपने मुझे गोवा की सैर करा दी, अब तक वहां नहीं जा सका था.
    लगता है इस बार गर्मी की छुट्टियों में कानपुर का नम्बर नहीं है.

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  15. मुझे ऐसी ही कुछ आशंका थी कि तुम गर्मियों कि छुट्टी का मजा लेने कहीं गयी तभी तो ब्लॉग संसार से बिलकुल गायब कहीं चैन कि वंशी बजा रही हो.
    गोवा कि सैर करा दी, कानपुर की गर्मी में कुछ राहत महसूस कर रही हूँ.

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  16. सुन्दर यात्रा वृतांत...हमने भी आपके साथ सैर कर ली गोवा की.

    ____________________________
    'शब्द-शिखर' पर- ब्लागिंग का 'जलजला'..जरा सोचिये !!

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  17. अच्छा तो अकेले अकेले घुमाई चल रही थी जिसमे बाद में सबको बता कर जलने के लिए मौका दे सकें!!!!!!!! पर हम तो इस में भी ख़ुशी ढूंढ़ ही लेते हैं. चलो तस्वीरों के जरिये ही सही हम भी घूम लिए. अच्छा रिसर्च वर्क है मनमोहक चित्रों पूरी डिटेल के साथ
    आभार

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  18. जो बात आप गोवा और अन्य प्रदेशों के लिए व्यवहारजनित कह रही हैं...लोग वही..व्यवहार अलग अलग...वैसा ही कुछ एक बार कलाम साहब से देश और अमरीका को देखकर विवेचन किया था कि वही भारतीय अमरीका में कचरा नहीं फैलाते.


    अच्छी तस्वीरें और विचारणीय बातें.

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  19. इंतज़ार था आपकी पोस्ट का...बेहद ख़ूबसूरत तस्वीरें ...पर मन अभी भरा नहीं :)... उम्मीद है यह एक श्रृंखला होगी...हमें और भी बहुत कुछ जानने और पढने को मिलेगा.
    मुंबई वाले शर्मिंदा हैं जी...क्या सफाई दें जब सफाई नहीं रख सकते...शर्मिंदा के साथ दुखी भी हैं बस..लोगों की इस तरह की उदासीनता के प्रति.

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  20. यात्रा आशा है मस्त रही होगी मगर तस्वीरें आपने दूर कि लगाई हैं. विधु पहचान में नहीं आ रही और दुबे जी तो कहीं दिखे ही नहीं. पोस्ट बढ़िया है.

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  21. ख़ूबसूरत चित्र और सुन्दरता से विस्तारित रूप से गोवा के बारे में लिखने पर अभी जाने का मन कर रहा है! पर मेरे ख्याल से दिसम्बर महिना क्रिसमस का समय सबसे अच्छा है गोवा जाने के लिए! बहुत बढ़िया पोस्ट!

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  22. गोवा के सुंदर वादियों के चित्रों सजी आपकी यह पोस्ट बढ़िया लगी..यात्रा वृतांत के इस सुंदर जानकारी भरी पोस्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  23. kabhi goa gaya nahi, lekin jab jaunga aapka yeh lekh jaroor yaad ayega....
    bahut bahut dhanyawaad goa ke darshan karane ke liye.....
    mere blog par bhi awashya ayein.....
    http://i555.blogspot.com/

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  24. ०- धन्यवाद मनोज जी.
    ०- बेचैन आत्मा जी,
    ०- शाहिद जी, मैने सोचा कि गोवा के बारे में आप लोग सब जानते हैं, इसलिये लम्बा यात्रा-वृतांत नहीं लिखा. अब ज़रूर लिखूंगी, बस एक-दो दिन की मोहलत दीजिये.
    ०- धन्यवाद शिवम जी.
    ०- सर्वत साहब आप तो इतनी तारीफ़ कर देते हैं कि मुझे संकोच होने लगता है. आभारी हूं जो आपका स्नेह मिला.
    ०- धन्वायद क्षमा जी.
    ०- धन्यवाद विनोद जी
    ०- धन्यवाद बबली जी.
    ०- धन्यवाद शेखर जी,
    ०- धन्यवाद रेखा दी. यात्रा की खबर आपको दे ही नहीं पाई, जबकि देनी चाहिये थी.
    ०- धन्यवाद आकांक्षा जी.
    ०- धन्यवाद रचना जी.
    ०-धन्यवाद समीर जी,
    ०- रश्मि, सोचती हूं अगला अंक भी लिख ही डालूं.
    ०- किशोर जी इस बार तस्वीरें केवल गोवा की थीं, अगली पोस्ट में विधु और दुबे जी दोनों को हाज़िर करती हूं. :)
    ०- धन्यवाद शेखर जी और राज़ी जी.

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  25. sundar tasvire ,sundar drishya ,shaandaar yatra aur saath hi aham aur laabhkaari sandesh .ati uttam .

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  26. Khoob kahi, raat bhar baith ke khandwa tak madhya pradesh ke jungle dekhti rahi, badi kashtprad yaata rahi hogi khandwa tak ki ek hi chitra ko baar baar dekhna.
    hammare yahaan hamaari janmjaat aadte he jo ki peechhaa nahi chhodti isiliye to goa,pondicherry sabse alag he.
    main shikaayat darj karwaanaa chaahtaa hun ki vrattaant jitnaa aapne dekhaa aur anubhav kiyaa usse chhota thaa, Lagtaa he aapne bahut kuchh apne liye bachaa liyaa aur hame saste main tarkaa diyaa. Thodi aur udaartaa dikhaaye. AAJ DINESH SARITA ko bhi padhvaaongaa, dono yahin he.
    satyendra

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  27. देखिये न सत्येन्द्र जी, आपने डांत लगाई और मैने तुरन्त आगे का वृतांत लिख डाला. भैया और भाभी को मेरा प्रणाम भी कहिये.

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  28. वंदनाजी
    आपने तो गोवा जाने के लिए उकसा ही दिया है |वैसे एक बात सही है जब भी हम हमारे मध्य प्रदेश से बाहर जाते है
    तो हरियाली देख मन बाग -बाग हो जाता है |और आपके तुलनात्मक द्रष्टिकोण (सफाई )में मैंने कही पार एक टिप्पणी की है वो ही लिख देती हूँ |
    शशि सिंघल की पोस्ट पार दी थी ये टिप्पणी

    इसी विषय पर मै अपना अनुभव भी बाँटना चाहूंगी ,अभी कुछ १५ दिन पहले हम परिवार सहित इंदौर से मंडलेश्वर गये थे जहाँ नर्मदा नदी का बहुत ही सुन्दर घाट है ,हम भी अधिक मास में स्नान करने की सोच ओर जितनी भी पूजन सामग्री थी उसे साथ लेते गये की नदी में प्रवाहित कर देगे पर जब वहा देखा की खूफ साफ नर्मदाजी का जल और अनेक रंग बिरंगी मछलिया अठखेलिय कर रही थी तो सामग्री विसर्जन करने की इच्छा नहीं हुई फिर हमने आसपास पुछा तो वहां के स्थायी लोगो ने बताया की वो एक बड़ा सा कुंड बना है उसमे सामग्री डाल दीजिये हम वहां गये और उसमे सब कुछ डाल दिया और और वही नगर पालिका द्वारा एक बोर्ड भी लिखा हुआ था जिसमे नर्मदाजी के जल को दूषित होने से बचाने के लिए यात्रियों से अपील की थी और लोग उसका पालन भी कर रहे थे और नतीजन ओम्कारेश्वर से भी साफ सुन्दर और पवित्र घाट lga मंडलेश्वर का |

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  29. बड़ी अछि मिसाल दे डाली आप ने .
    एक तुलना कर के ही आप ने सब कह दिया ?

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  30. वन्दना जी लगता है आप को मुंबई आने का नेवता देना ही पड़ेगा. मुंबई सप्तरंगी शहर है. कहीं ऐसी सफाए की , शक होने लगे की क्या हिंदुस्तान मैं हैं और कहीं उसके उलट गंदगी, जो आबादी बढ़ने के साथ बेकाबू होती जा रही हैं..

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  31. वाकई में बहुत खूबसूरत जगह है गोआ ! बापस आने का मन ही नहीं करता !

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  32. मैं गोवा कब जाउंगी .........? :) बहुत सुन्दर लिखा है तुमने ..

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  33. गोवा यात्रा वृत्तांत तीन हिस्सों में है रंजू, उन्हें भी पढो न प्लीज़....और हाँ, गोवा हो आओ, बहुत सुन्दर है.

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